हमने किसी भी पारंपरिक औषधि को स्वीकृति नहीं दी है ! – विश्व स्वास्थ्य संगठन का प्रतिपादन
योगऋषि रामदेव बाबा ने ‘कोरोनिल’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता दिए जाने का किया था दावा !
इस पूरे विवाद का अंत करने के लिए केंद्र सरकार को कडी भूमिका निभाना आवश्यक है । आयुर्वेदिक चिकित्सा द्वारा कोरोना के रुग्ण ठीक होने के अनेक उदाहरण सामने आए हैं । इसलिए किसी के प्रमाण पत्र की प्रतीक्षा किए बिना केंद्र सरकार को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से उपचार करने वालों को आधार देना आवश्यक !
नई देहली : ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की प्रमाणन योजना के अंतर्गत ‘पतंजलि आयुर्वेद’ द्वारा बनाई गई औषधि ‘कोरोनिल’ को आयुष मंत्रालय ने एक प्रमाण पत्र प्रदान किया है’ कुछ दिन पूर्व एक सार्वजनिक समारोह में योगऋषि रामदेव बाबा ने ऐसा सूचित किया था । इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी उपस्थित थे । परंतु इस संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण एशिया के ट्विटर खाते से ट्वीट किया गया, कि हमने कोरोना के संदर्भ में किसी भी पारंपरिक औषधि को अनुमति नहीं प्रदान की है ।
‘कोरोनिल’ को मान्यता प्राप्त होने का प्रमाण दें ! – भारतीय मेडिकल एसोसिएशन का आह्वान
कोरोनिल पर विवाद जारी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री से मांगा जवाबhttps://t.co/gfjI8rj0tp
— AajTak (@aajtak) February 23, 2021
यह देखा जाना चाहिए कि भारतीय मेडिकल एसोसिएशन जनता की चिंता के लिए यह आह्वान दे रही है अथवा आयुर्वेद-द्वेष के कारण; क्योंकि न केवल भारत में, अपितु पूरे विश्व में, एलोपैथिक चिकित्सा व्यवसायी आयुर्वेद के विरुद्ध रहते हैं, ऐसा बार-बार सामने आया है !
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई. एम. ए.) के अधिकृत संगठन ने भी ‘कोरोनिल’ का विरोध किया है । ‘किसी भी मान्यता प्राप्त आधिकारिक संस्था द्वारा इस औषधि को अनुमति नहीं दी गई है । यदि ऐसी अनुमति प्राप्त है, तो इसे प्रमाणित किया जाना चाहिए’, उसने ऐसा आह्वान भी किया है ।
WHO has clarified that it has not given a nod to any traditional medicine for the treatment of Covid-19, amid claims made by Patanjali Ayurved about Coronil's clearance by the global health bodyhttps://t.co/VzhQLTTDVk
— Hindustan Times (@htTweets) February 21, 2021
यह प्रकरण पूर्णतः सामान्य जनता को भ्रमित करने वाला है तथा उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करता है । जहां टीके (वैक्सीन ) को आने में इतने मास (महीने) लग गए, वहां यह औषधि कैसे उपलब्ध हुई ? किसने इसे अनुमति दी ?’, आई.एम.ए. ने ऐसे प्रश्न उपस्थित किए हैं ।