कोरोना के संकट के कारण, हरिद्वार कुंभ मेले में प्रशासन ने संतों को शिविरों के लिए भूमि देने से मना किया।
साधू – संतों को अखाडों की छावनियां, उनके आश्रम उनके रहने के लिए प्रयोग करने पडेंगे !
हरिद्वार (उत्तराखंड) – यहां १ अप्रेल से प्रारंभ होने वाले कुंभ मेले में आने वाले साधु और संतों को नदी किनारे पंडाल नहीं बनाने दिए जाएंगे ,ऐसा सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है । सरकार ओर प्रशासन ने कोरोना के संकट के कारण पंडाल के लिए भूमि न देने का निर्णय लिया है । इस कारण साधू और संत उनकी छावनियों और आश्रमों में रहेंगे और वहां से ही राजयोगी (शाही) स्नान के लिए आएंगे । इन छावनियों को प्रशासन की ओर से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी । संन्यासी अखाडों के संतों की व्यवस्था कहां की जाएगी ?, इस विेषय में अखिल भारतीय अखाडा परिषद और मेला प्रशासन की संयुक्त बैठक के बाद तय किया जाएगा । प्रशासन ने पहले ही बडे सत्संग और धर्मसभा का आयोजन करने पर प्रतिबंध लगाया है ।
विविध अखाडों द्वारा संतों के लिए सरकार और मेला प्रशासन से गंगा नदी किनारे पंडाल बनाने के लिए भूमि देने की मांग की जा रही है । कुछ संतों ने भूमि न मिलने पर कुंभ मेले का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है ।