ग्रेटा थनबर्ग द्वारा साझा किए गए टूलकिट से पता चलता है कि किसानों के आंदोलन के पीछे खालिस्तानियों का हाथ है !
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नई दिल्ली : स्वीडन की तथाकथित पर्यावरणविद् ग्रेटा थनबर्ग ने दो दिन पहले भारत में किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट में टूलकिट पोस्ट किया । इस लेखन के आधार पर, दिल्ली पुलिस ने अज्ञातों के विरोध में प्रकरण दर्ज किया है । अपराध पंजीकृत होने की सूचना मिलने के बाद, ग्रेटा ने कहा, “मैं भारत में किसानों के साथ हूं । किसी भी धमकी के डर से निर्णय को पलटने का प्रश्न ही नहीं ।” यह स्पष्ट करते हुए उन्होंने एक अद्यतन ‘टूलकिट’ साझा किया है ।
'Still stand with farmers', says Greta as Delhi Police files FIR
Delhi Police's cyber cell has filed an FIR in connection with the controversial document tweeted by Greta Thunberg last night
Farmers protest live updates: https://t.co/pKDkLpXK5r pic.twitter.com/mDSTKYY33v
— The Times Of India (@timesofindia) February 4, 2021
टूलकिट क्या है ?
१. यह टूलकिट किसानों के आंदोलन के लिए समर्थकों की संख्या बढ़ाने के दिशा-निर्देशों की एक सूची है । सोशल मीडिया पर अपील करते समय किस हैशटैग का इस्तेमाल किया जाना चाहिए ? यदि आंदोलन करते समय कोई समस्या खडी हो जाए तो किससे संपर्क करें ? आंदोलन में क्या करना है और क्या नहीं ? इसमें इन सभी बातों को समझाया गया है ।
२. संयुक्त राज्य अमेंरिका में, एक अश्वेत व्यक्ति को पिछले वर्ष पुलिस द्वारा मार दिया गया था । इसके विरोध में दुनिया भर से प्रतिक्रियाएं आईं । इसके बाद ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स’ नामक अभियान चलाया गया । भारत सहित पूरे विश्व के लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और अश्वेतों के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों के विरोध में आवाज उठाई । प्रदर्शनकारियों ने उस समय एक टूलकिट बनाया था ।
३. उस टूलकिट में आंदोलन से संबंधित कुछ दिशानिर्देश थे । आंदोलन में भाग लेने के लिए कैसे जाना है ? कहां जाना है और कहां नहीं जाना है ? यदि पुलिस कार्रवाई करे तो क्या करें ? आंदोलन में भाग लेते समय किस तरह के वस्त्र पहनने चाहिए ताकि वस्त्र की वजह से कोई समस्या न हो ? यदि पुलिस द्वारा पकडे गए तो आपके अधिकार क्या हैं ? आदि को सूचित किया गया था । हांगकांग और चीन में भी आंदोलन के दौरान इस तरह के टूलकिट बनाए गए थे ।
ग्रेटा थनबर्ग के टूलकिट में क्या है ?
ग्रेटा थनबर्ग के नये टूलकिट में किसान आंदोलन के लिए योजना दी गई है । ४-५ फरवरी को सुबह ११ बजे से दोपहर २ बजे तक ट्वीट किए जाएं । वीडियो और फ़ोटो साझा करने के लिए एक ईमेल पता प्रदान करें । सरकारी प्रतिनिधियों से संपर्क करना, ऑनलाइन याचिकाओं पर हस्ताक्षर करना, अंबानी और अदानी उद्यमियों से दूर रहना, १३ और १४ फरवरी को भारतीय दूतावासों, समाचार चैनलों और सरकारी कार्यालयों का घेराव करना ।
ग्रेटा के पुराने टूलकिट में २६ जनवरी को विरोध करने का विस्तार से तरीका बताया गया था । इसमें कनाडा की ‘पोयटिक जस्टिस फाऊंडेशन’ एवं ‘ग्रीन्स विथ फार्मर्स यूथ कोलिशन’ की वेबसाइटों के लिंक दिए गए थे ।
‘पोएटिक जस्टिस फाऊंडेशन’ क्या है ?
पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) एक कनाडा-आधारित संगठन है । उनकी वेबसाइट में लिखा है, “भारत एक फासीवादी, हिंसक और तानाशाही शासन की ओर बढ़ रहा है ।” वेबसाइट में कनाडा के खालिस्तान समर्थक और पाकिस्तान समर्थक सांसद जगमीत सिंह के कई बयान हैं । संगठन ने ‘खालिस्तान-द सिख फ्रीडम स्ट्रगल’ नामक एक वेबिनार भी आयोजित किया था । इसके निदेशकों में मो. धालीवाल भी एक नाम है । वह खुद को खालिस्तानी बताता रहा है ।