केरल राज्य में पाठशाला के अभ्यासक्रम में शस्त्रकर्म के जनक सुश्रुताचार्य के स्थान पर अबू अल कासिम का उल्लेख
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तिरुवनंतपुरम् (केरल) – केरल राज्य में ९ वीं के अभ्यासक्रम में विज्ञान विषय की पुस्तक में वैद्यकीय शस्त्रकर्म के जनक सुश्रुताचार्य के स्थान पर अबू अल कासीमा अल जवाहरी है, ऐसा बताया गया है । भारतीय इतिहास में ८ वीं शताब्दी में सुश्रुताचार्य नाम के प्रख्यात वैद्य हुए थे । उन्हे ‘शस्त्रकर्म के जनक’ ऐसी विश्व प्रसिद्धि मिली है । फिर भी १० वीं शताब्दी में हुए अबू अल कासीम अल जवाहरी का उल्लेख ‘शस्त्रकर्म के जनक’ के रूप में कर विद्यार्थियों को झूठा इतिहास पढाया जा रहा है ।
एन.सी.ई.आर.टी. ने हालही में मुगलों ने युद्ध में तोडे गए मंदिरों की मरम्मत के लिए निधि देने की जानकारी उसके पुस्तक में दी थी । इस जानकारी के विषय में साक्ष्य मांगने पर वह उपलब्ध नही है, ऐसा बताया था ।
सुश्रुताचार्य की पहचान
भारतीय इतिहास में सुश्रुताचार्य ने उनके ग्रंथ में १ सहस्र १२० रोगों के १८४ प्रकार लिखे होकर उसमें ७०० आयुर्वेदीय वनस्पति, अनेक प्रकार की औषधियों की जानकारी दी है । उसी प्रकार उसमें विविध रोगों पर होने वाले आवश्यक शस्त्रकर्म का समावेश है ।