केरल राज्य में पाठशाला के अभ्यासक्रम में शस्त्रकर्म के जनक सुश्रुताचार्य के स्थान पर अबू अल कासिम का उल्लेख

  • कट्टरपंथियों को लुभाने के लिए झूठा इतिहास प्रसारित करने वाले केरल की कम्यूनिस्ट सरकार का शिक्षण मंडल ! बचपन से बच्चों को झूठा इतिहास सिखाकर आगे की पीढी की दिशाभ्रमित करने वाले कम्यूनिस्टों को कठोर सजा होनी आवश्यक !
  • इस प्रकार की शिक्षा देकर हिंदुओं की महान संस्कृति को छुपाने का और कट्टरपंथियों को गौरवान्वित करने का प्रयास किया जाता है । यह भी अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र का एक भाग ही है !
वैद्यकीय शस्त्रकर्म के जनक सुश्रुताचार्य

तिरुवनंतपुरम् (केरल) – केरल राज्य में ९ वीं के अभ्यासक्रम में विज्ञान विषय की पुस्तक में वैद्यकीय शस्त्रकर्म के जनक सुश्रुताचार्य के स्थान पर अबू अल कासीमा अल जवाहरी है, ऐसा बताया गया है । भारतीय इतिहास में ८ वीं शताब्दी में सुश्रुताचार्य नाम के प्रख्यात वैद्य हुए थे । उन्हे ‘शस्त्रकर्म के जनक’ ऐसी विश्व प्रसिद्धि मिली है । फिर भी १० वीं शताब्दी में हुए अबू अल कासीम अल जवाहरी का उल्लेख ‘शस्त्रकर्म के जनक’ के रूप में कर विद्यार्थियों को झूठा इतिहास पढाया जा रहा है ।

एन.सी.ई.आर.टी. ने हालही में मुगलों ने युद्ध में तोडे गए मंदिरों की मरम्मत के लिए निधि देने की जानकारी उसके पुस्तक में दी थी । इस जानकारी के विषय में साक्ष्य मांगने पर वह उपलब्ध नही है, ऐसा बताया था ।

सुश्रुताचार्य की पहचान

भारतीय इतिहास में सुश्रुताचार्य ने उनके ग्रंथ में १ सहस्र १२० रोगों के १८४ प्रकार लिखे होकर उसमें ७०० आयुर्वेदीय वनस्पति, अनेक प्रकार की औषधियों की जानकारी दी है । उसी प्रकार उसमें विविध रोगों पर होने वाले आवश्यक शस्त्रकर्म का समावेश है ।