धर्म का अधिकार जीवन के अधिकार से बडा नहीं है ! – मद्रास उच्च न्यायालय

प्राचीन श्रीरंगम मंदिर में त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन के संदर्भ में याचिका पर न्यायालय का स्पष्टीकरण !

देश भर में मंदिर अब श्रद्धालुओं के लिए खोले जा रहे हैं और उन्हें कुछ नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है, इसलिए, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सरकार को कोरोना काल के दौरान कुछ नियमों और शर्तों को लागू करके प्राचीन श्रीरंगम मंदिर में उत्सव आरंभ करने के प्रयत्न करने चाहिए । अगर सरकार ऐसे कदम नहीं उठाती है तो न्यायालय को ऐसे निर्देश जारी करने चाहिए ; भक्तों की यह अपेक्षा है ।

चेन्नई (तमिलनाडु) – धार्मिक संस्कार सार्वजनिक हित और जीवन के अधिकार के अधीन होने चाहिए । धर्म का अधिकार, जीवन के अधिकार से बडा नहीं है । इस संदर्भ में, मद्रास उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि, यदि कोरोना संकट के दौरान सरकार द्वारा कुछ उपाय किए गए हैं तो न्यायालय उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा ।

१. रंगराजन नरसिम्हन ने प्राचीन श्रीरंगम मंदिर में त्यौहारों और धार्मिक अनुष्ठानों को नियमित रूप से आयोजित करने की अनुमति देने के लिए उच्च न्यायालय से सरकार के संबंधित विभागों को निर्देश दिये जाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी ।

२. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को यह पता लगाने का निर्देश दिया कि, क्या कोरोना संकट के नियमों और दिशानिर्देशों के अनुपालन करते हुए तिरुचिनापल्ली जिले के श्रीरंगम रंगनाथस्वामी मंदिर में समारोह और धार्मिक उत्सव आयोजित करना संभव है ।