‘स्वयं की चल एवं अचल संपत्ति का ‘सत्पात्रे दान’ हो; इस उद्देश्य से सनातन संस्था को दान देने के लिए इच्छुक हों, तो अपने जीवनकाल में ही उसका अर्पण दें !
साधकों को सूचना तथा पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमियों से विन्रम अनुरोध !
‘सनातन संस्था विगत अनेक वर्षों से निःस्वार्थ भाव तथा निरपेक्ष वृत्ति से धर्मप्रसार का कार्य कर रही है । पूरे भारत के विविध स्थानों के साधक अविरत रूप से धर्मप्रसार का कार्य कर रहे हैं तथा इस कार्य में अनेक पाठक, हितचिंतक और धर्मप्रेमी जुडे हैं । सनातन संस्था का कार्य देखकर अनेक लोग संस्था को विविध रूप में अर्पण देते हैं । कई लोग स्वयं की चल (धन, स्वर्ण, वाहन इत्यादि) ऐर अचल (घर, ‘फार्म हाऊस’, दुकान, खुली भूमि (प्लॉट), कृषिभूमि आदि) संपत्ति सनातन संस्था के देने की इच्छा व्यक्त करते हैं ।
मृत्युपत्र कर अपनी संपत्ति किसी के नाम पर करने की अपेक्षा अपने जीवनकाल में ही संपत्ति अर्पण करना अधिक सुविधाजनक है । इसका कारण यह है कि व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत उसके द्वारा अपने मृत्युपत्र में उल्लेख किए अनुसार उसने उसकी संपत्ति सनातन संस्था को दान दी हो, तो उसके लिए करनी आवश्यक कानूनी और न्यायालयीन प्रक्रिया अत्यंत जटिल है । इसे टालने हेतु इच्छुक व्यक्ति अपने जीवनकाल में ही अपनी स्वेच्छा के अनुसार अपनी संपत्ति का विनियोग करें । ऐसा करने से आगे की जटिल प्रक्रिया को टाला जा सकता है और उससे ‘सत्पात्रे दान’ देने की संतुष्टि भी मिलेगी ।
अपने जीवनकाल में ही स्वयं की चल एवं अचल संपत्ति सनातन संस्था को अर्पण देने के लिए इच्छुक व्यक्ति निम्नांकित क्रमांकों पर संपर्क करें अथवा संगणकीय पते पर अपनी जानकारी भेजें ।
नाम एवं संपर्क क्रमांक
संपर्क क्रमांक : 7058885610
संगणकीय पता :
sanatan.sanstha2025@gmail.com
डाक के लिए पता : श्री. वीरेंद्र मराठे, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, २४/बी, रामनाथी, बांदिवडे, फोंडा, गोवा. पिन – ४०३४०१’
– श्री. वीरेंद्र मराठे, व्यवस्थापकीय न्यासी, सनातन संस्था. (९.७.२०२०)