पत्रकारिता की कोई भी शिक्षा न लेते हुए भी सनातन प्रभात के पत्रकार और संपादकों के लेखन से राष्‍ट्र और धर्म के संदर्भ में सुपरिणामकारक जागृति होना

परात्‍पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्‍वी विचार

‘वर्तमान में देश में समाचार-पत्र और समाचार-वाहिनियों की संख्‍या बहुत है । इन प्रसारमाध्‍यमों के लिए काम करनेवाले अधिकांश पत्रकारों और संपादकों ने पत्रकारिता की विशेष शिक्षा ली होती है; परंतु ऐसा होते हुए भी यह पत्रकारिता अब तक जनता के मन में राष्‍ट्र और धर्म के प्रति प्रेम जागृत नहीं कर सकी है । इससे इस पत्रकारिता का स्‍वरूप देखें, तो ‘कौनसा समाचार छापने से समाचार-पत्र का वितरण बढेगा, हितसंबंध कैसे संभलेंगे’, प्रधानता से इसी का विचार किया जाता है; परंतु ‘सनातन प्रभात’ का तंत्र अलग है । सत्त्वगुणाधिष्‍ठित राष्‍ट्ररचना अर्थात हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना के ध्‍येय से कार्य करनेवाले सनातन प्रभात के पत्रकार अथवा संपादकों ने पत्रकारिता की कोई भी शिक्षा नहीं ली है, तो भी वे राष्‍ट्र और धर्म के हित की दृष्‍टि से विविध विषयों का अध्‍ययन कर प्रतिदिन घटनेवाली घटनाओं के समाचार बनाकर उसे अध्‍ययनपूर्ण पद्धति से रखते हैं । समाज में उसका सकारात्‍मक परिणाम भी बडी मात्रा में हो रहा है । सनातन प्रभात को ईश्‍वर और संतों के आशीर्वाद प्राप्‍त होने से वह चैतन्‍यमय हो गया है । इस चैतन्‍य का परिणाम यह है कि सनातन प्रभात के पठन से हिन्‍दुओं में जागृति होकर वे धर्माचरण करने लगे हैं तथा संगठित होकर हिन्‍दू जनजागृति समिति तथा सनातन संस्‍था के साथ ही अन्‍य समविचारी संगठन के धर्मकार्य में सम्‍मिलित हो रहे हैं । सनातन प्रभात की पत्रकारिता का पिछले २१ वर्षों के व्‍यापक कार्य का यही फल है ।’
– (परात्‍पर गुरु) डॉ. जयंत आठवलेजी, संस्‍थापक-संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक