नेपाल के प्रधानमंत्री ओली की सरकार विसर्जित
अप्रैल २०२१ में होंगे चुनाव
काठमांडू (नेपाल) – नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंत्रिमंडल की बैठक में अकस्मात ही संसद विसर्जित करने का निर्णय लिया । उसके पश्चात राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी को यह अनुशंसा भेजी गई । उन्होंने नेपाल की संसद को विसर्जित करने का प्रस्ताव स्वीकार कर संसद विसर्जित की, साथ ही अगले वर्ष ३० अप्रैल से १० मई की अवधि में चुनाव करवाने की घोषणा की । नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा यह जानकारी दी गई । नेपाल के कम्युनिस्ट दल ने इस निर्णय का विरोध किया है । नेपाल के संविधान में संसद को विसर्जित करने का कोई प्रावधान नहीं है । इसलिए मंत्रिमंडल के इस निर्णय को न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है ।
Nepal PM recommends dissolution of Parliament, feuding party leaders call it 'undemocratic'.https://t.co/6yM7cWZ0FQ
— TIMES NOW (@TimesNow) December 20, 2020
१. ऊर्जा मंत्री बरशमैन पून ने बताया कि ओली पर संवैधानिक परिषद अधिनियम से संबंधित एक अध्यादेश वापस लेने के लिए दबाव था । इस संदर्भ में जारी किए गए अध्यादेश के अनुसार राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने इस अध्यादेश को सहमति दी । प्रधानमंत्री ओली ने सवेरे १० बजे बैठक बुलाई थी । इस बैठक में इस अध्यादेश को वापस लिए जाने की संभावना थी; परंतु उसके स्थानपर संसद विसर्जित करने का निर्णय लिया गया ।
२. नेपाल के सत्ताधारी कम्युनिस्ट दल ने मंत्रिमंडल के इस निर्णय का विरोध किया है । दल के प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने बताया कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है । मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे । यह लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध है तथा यह देश को पीछे ले जाने का कृत्य है ।
३. प्रधानमंत्री ओली और दल के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड के मध्य तीव्र तनाव उत्पन्न हुआ है । इससे पहले ‘सभी निर्णय सर्वसम्मति से और चर्चा कर ही लिए जाएंगे’, ऐसा सुनिश्चित किया गया था; परंतु ओली इसका पालन नहीं करते, ऐसा कहा जा रहा था । उसके कारण ही इन दोनों के मध्य तनाव बढने की बात बताई जा रही थी । ३१ अक्टूबर को दल की बैठक में दोनों के मध्य के संबंधों में और अधिक तनाव दिखाई दिया था । इसके उपरांत इन दोनों नेताओं ने अपने-अपने समर्थकों के साथ अलग बैठकें की थीं ।