(कहते हैं) ‘लव जिहाद’ को रोकने हेतु कानून बनाना संविधान विरोधी !

जिहाद में प्रेम के लिए कोई भी स्थान न होने का किया दावा !

  • राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री, अशोक गेहलोत, का हिन्दूद्वेष और मुसलमानप्रेम ! 
  • प्रतिदिन हिन्दू युवतियों से धोखाधडी करते हुए उन्हें प्रेमजाल में फंसाने की घटनाएं सामने आते हुए भी क्या वह गेहलोत को दिखाई नहीं देतीं ? ऐसी घटनाएं रोकने हेतु सरकार क्या प्रयास कर रही है, यह वे क्यों नहीं बताते ? 
  • मुसलमान होते हुए भी हिन्दू नाम धारण कर हिन्दू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर, उनके साथ धोखाधडी करने को ही गेहलोत प्रेम समझते हैं ? यदि ऐसा नहीं है, तो वे उसके विरुद्ध अपना मुंह क्यां नहीं खोलते ? 
  • केरल में हिन्दू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर आतंकी बनाया गया, उस संदर्भ में गेहलोत चुप क्यों हैं ? क्या हिन्दू समझ लें कि वे इसे स्वीकार करते हैं ?

नई दिल्ली – देश को विभाजित करने के लिए और धार्मिक सामंजस्य बिगाडने के लिए भाजपा ने ‘लव जिहाद’ शब्द की उत्पत्ति की है । (केरल के पूर्व मुख्यमंत्री, अच्युतानंदन, ने ‘लव जिहाद’ का अस्तित्व होने की बात कही थी और वे भाजपा के नहीं थे, यह बात गेहलोत कैसे भूल जाते हैं ? – संपादक) ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने हेतु कानून बनाना संविधान विरोधी है । यह कानून न्यायालय में टिक नहीं सकेगा । जिहाद में प्रेम के लिए कोई स्थान नहीं है । राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने यह ट्वीट किया है । उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक के भाजपा शासित राज्यों में ‘लव जिहाद’ विरोधी कानून बनाया जानेवाला है । इस पृष्ठभूमि पर गेहलोत ने भाजपा की आलोचना की है ।

(सौजन्य : INDIATv)

गेहलोत ने आगे कहा कि,

१. भाजपा की ओर से देश में इस प्रकार का वातावरण तैयार करने का प्रयास हो रहा है, जिसमें सहमति से एकत्रित होनेवाले सज्ञान व्यक्तियों को भी सत्ता से दया की याचना करनी पडेगी । (यहां सहमति से एकत्रित होनेवाले सज्ञान व्यक्तियों का विरोध नहीं है, तो क्या उसके नामपर होनेवाली धोखाधडी का विरोध है ; यह गहलोत को ध्यान देना चाहिए ! – संपादक)

२. विवाह संपूर्ण रूप से निजी निर्णय है और ये लोग उसपर ही अंकुश लगाना चाहते हैं । यह तो व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनने का प्रयास है । (भले ही विवाह निजी निर्णय होता है, तब भी उसमें किसी के साथ धोखाधडी होती हो, तो वह अपराध है, क्या यह बात गेहलोत को ज्ञात नहीं है ? अथवा वे इससे अनावगत होने का नाटक कर रहे हैं ? – संपादक)

३. यह तो भाजपा का धार्मिक सामंजस्य बिगाडने का, सामाजिक तनाव बढाने का और संविधान में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करने का षड्यंत्र दिखाई दे रहा है । हमारा राज्य किसी भी आधार पर नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता । (गत ७२ वर्षों में धार्मिक सामंजस्य बिगाडने का सर्वाधिक काम जितना कांग्रेस ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया होगा ! कांग्रेस के कार्यकाल में दिल्ली में भडके सिख विरोधी दंगे में ३.५ सिखों का संहार किया गया था । गेहलोत उस संदर्भ में क्यों नहीं बोलते ? अथवा क्या उन्हें यह संहार धार्मिक सामंजस्य लगता है ? – संपादक)