दलितों के लिए सरकारी केश कर्तनालय खोले जाएं !

कर्नाटक राज्य के समाज कल्याण विभाग की अनुशंसा

  • रोग से भी चिकित्सा भयानक ! इससे जाति व्यवस्था दूर होने की अपेक्षा और अधिक बढेगी ! स्वतंत्रता के ७२ वर्ष पश्चात भी देश में जाति-भेद दूर न होने के लिए अभी तक के सर्वदलीय शासनकर्ता ही उत्तरदायी हैं !

  • इस प्रकार सरकारी केश कर्तनालय खोलने की अपेक्षा सरकार को समाज में विद्यमान जाति-भेद दूर करने के लिए प्रयास करने चाहिए ; परंतु मतों के लिए जानबूझकर जाति-भेद बनाए रखनेवाले राजनेता ऐसा कदापि होने नहीं देंगे !

बेंगलुरू (कर्नाटक) – राज्य के विविध गांवों में केश कर्तनालयों के सूत्र पर जाति-भेद की घटनाएं होने की बात सामने आई है । अनेक नाई दलितों ने केश काटना और उनकी दाडी बनाना अस्वीकार कर रहे हैं । (सरकार को ऐसे लोगों को दंडित करना चाहिए ! – संपादक) इसके कारण राज्य के समाज कल्याण विभाग ने राज्य में सरकारी केश कर्तनालय चलाने की अनुशंसा की है ।

केरल में ऐसा किया गया है । वहां भी सरकार की ओर से केश कर्तनालय चलाए जा रहे हैं ।