युद्ध का संकट मंडरा रहा है, तो ऐसे में इसके लिए आपके जनपद और गांव की कितनी तैयारी है ?
कभी भी आनेवाले युद्ध के आपातकाल के संदर्भ में थोडी भी अनदेखी न करें । यह तो केवल देश के सीमावर्ती क्षेत्र की चिंता का विषय है, ऐसा मानकर असतर्क भी न रहें । सरकारी तंत्र के पास क्या उपलब्ध है ? इसमें भयावह वास्तविकता यह है कि असंख्य लोगों के मन में इसका अनुमान लगाने और उसकी तैयारी करने का विचार अभी भी नहीं जगा है । युद्धकाल में देश के सभी प्रमुख शहरों के अधिकतर लोगों का नित्य जीवन अनेक स्तरों पर प्रभावित हो जाएगा, इसकी सूचना भी नहीं दी गई है । तब अधिक दृढता के साथ बचावकार्य करनेवालों की आवश्यकता पडेगी, इसे जानकर ग्रामस्तर तक इस महायुद्ध के होनेवाले परिणाम बताने होंगे । घर-घर और गांव-गांव को अभी इसकी समीक्षा करनी होगी ।
आपातकाल के संदर्भ में जनजागृति करने में आध्यात्मिक एवं धार्मिक संस्था-संगठनों का अग्रणी होना
रा.स्व. संघ किसी भी महाआपत्ति में सहायता के लिए दौडे आनेवाले सभी क्षेत्रों के स्वयंसेवकों की सेना सदैव तैयार रखता है, यह तो सर्वविदित है, तथापि यहां यह स्मरणपूर्वक उल्लेखनीय है कि आनेवाले आपातकाल के संदर्भ में उद्बोधन करने और स्वयंसेवकों का प्रकोष्ठ बनाने में आध्यात्मिक एवं धार्मिक संस्थाएं और संगठन भी अग्रणी दिखाई दे रहे हैं । आध्यात्मिक संस्थाएं संकटकाल की सुरक्षा के रूप में वस्तुएं, अनाज, पैसा आदि का प्रबंध करने के साथ ही आध्यात्मिक साधना का बल भी इकट्ठा करें; तो यह और अधिक उपयोगी सिद्ध होगा, यह संदेश दे रही हैं । (इसमें कोई युद्ध होनेवाला है और उससे आप सभी संकट में पड जाएंगे, ऐसा बताकर क्या वे सभी को भयभीत कर रहे हैं ?, ऐसा अर्थ कदापि न निकालें ।) उन्होंने समाज को युद्धकाल के परिणाम बताकर प्रशासन को सहायक सिद्ध होनेवाली मानसिकता बनाने के लिए अनेक लोगों को प्रेरित किया है । बाह्य विश्व कोरोना, बॉलीवुड, ड्रग्ज आदि विषयों की चर्चा करने में व्यस्त होते हुए ये लोग इस विषय में जनजागृति करने और स्वयंसेवकों को खडे करने में व्यस्त दिखाई दे रहे हैं, जिसे सचमुच प्रशंसनीय कहना पडेगा ।
तीसरे महायुद्ध के दिखाई दे रहे लक्षण
अजरबैजान और अर्मेनिया, इन २ देशों में चल रहे युद्ध प्रतिदिन उग्र रूप धारण करते जा रहा है । किसी प्रकार की चिंता किए बिना सीधे मानवीय बस्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है । युद्ध आरंभ होने के केवल ८ दिनों में १५ सहस्र से भी अधिक जीवों की हत्या हुई है । अर्थात जब आप यह लेख पढ रहे होंगे, तब यह संख्या बढी हुई भी हो सकती है अथवा इस परिस्थिति में और अधिक बदलाव आ सकता है । इस युद्ध में तुर्की (देश) का हस्तक्षेप बढने के समय ही इससे क्षुब्ध रूस ने भी अपने कदम आगे बढा दिए हैं । दूसरी ओर भारत, चीन और पाकिस्तान सीमा पर कितना तनाव है ?, इसके साथ ही कोरोना महामारी के कारण लाखों जीव मारे गए हैं और उसमें प्रतिदिन वृद्धि ही हो रही है । पूरे विश्व में आर्थिक महासंकट उत्पन्न हुआ है । इन जैसे महासंकटों की शृंखला चलती ही रहेगी, जानकारों द्वारा की गई यह भविष्यवाणी सत्य प्रमाणित हुई है । इस परिप्रेक्ष्य में ही आगामी काल को आपातकाल कहा जा रहा है ।
आपातकाल में उत्पन्न होनेवाली स्थिति का अनुमान
आपत् + काल = आपातकाल ! संस्कृत में आपत् का अर्थ संकट ! आपातकाल का अर्थ है संकटकाल ! वैश्विक भविष्यवेता नॉस्ट्रडोमस की भविष्यवाणी को लेकर कर्नाटक में की जानेवाली श्री हालसिद्धनाथजी की भविष्यवाणी तक, सभी भविष्यवाणियां विगत अनेक वर्षों से हमें इस संभावना की पूर्वसूचना दे रही हैं; आज यह भविष्यवाणियों को सत्य होता हुआ देखकर अनेक लोग कंपित तथा भयभीत हैं; क्योंकि अब युद्ध का अर्थ केवल सैनिकों की मृत्युतक ही नहीं रह गया है । आज के युद्ध में सीमा से दूर स्थित गांव और शहर भी संकट में आ सकते हैं । ज्ञाताआें का कहना है कि आनेवाले समय में प्राकृतिक, जैविक और मनुष्यनिर्मित सभी प्रकार के संकट एकत्रितरूप से आएंगे । इसके अंतर्गत महामारी फैलाने और आंतरिक अराजकता फैलाने के साथ ही विविध अस्त्र-शस्त्र का उपयोग किया जा सकता है । (जैसे कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) संगठन के आतंकियों द्वारा ७ भारतीय पर्यटकों का अपहरण करने का ताजा समाचार है ।)
यातायात व्यवस्था ध्वस्त होकर जीवनोपयोगी वस्तुआें की आपूर्ति बाधित होना, बिजली उपलब्ध न होना, पानी की आपूर्ति प्रभावित होना, महामारी फैलना, डॉक्टर्स और औषधियों का अभाव होना जैसी सैकडों घटनाएं उस समय घटित हो सकती हैं । उस स्थिति में जनपद का सरकारी तंत्र पर्याप्त होगा, ऐसा सोच अनुचित सिद्ध हो सकता है । कोरोना क्या होता है, यह ज्ञात न होने की स्थिति में आरंभिक समय में बडी संख्या में लोकसमूह गांव छोडकर चल पडे । तब हम सभी ने इस स्थिति का अनुभव किया था । आज उस स्थिति की पुनः कल्पना की, तो इसका अर्थ ध्यान में आएगा और ऐसी स्थिति में जनपद तंत्र अकेला पर्याप्त नहीं होता, इसका अनुमान लगाया जा सकता है ।
सभी प्रकार के सक्षम प्रशासनिक तंत्र की अनुपलब्धता
आपातकाल में कौन सी तैयारी रखनी पडती है और इस दृष्टि से हमारे जनपद के सरकारी तंत्र के पास क्या-क्या उपलब्ध हैं ?, इसकी जानकारी लेने का प्रयास करने पर यह ध्यान में आया कि नंदुरबार (महाराष्ट्र) जनपद आपदा प्रबंधन के पास तथा जनपद पुलिस बल के पास बाढ की स्थिति, अतिवृष्टि, बांध टटने की स्थिति जैसे संकटों को केवल प्राकृतिक संकट मानकर संकलित की गई जानकारी ही उपलब्ध है । युद्धकाल में अनेक स्थानों पर यदि भीड के अनियंत्रित होने की घटनाएं होने लगें, गैस अथवा रासायनिक विस्फोट जैसी घटनाएं केवल २ से अधिक स्थानों पर हुईं, साथ ही प्राकृतिक, जैविक और मनुष्यनिर्मित सभी प्रकार के संकटों का एकत्रितरूप से सामना करने की स्थिति आ ही गई, तो क्या सरकारी तंत्र तत्परता के साथ उन संबंधित स्थानों पर भागदौड कर सकेंगे ? क्या (अर्थात पर्याप्त मानवीय संसाधन और साधनसामग्री) जिलाधिकारी कार्यालय के पास इस प्रकार के सक्षम प्रबंध उपलब्ध हैं ? आज के समय में इस प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता ।
आपातकाल के लिए सरकारी स्तर पर आवश्यक विविध प्रकार की तैयारियां
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून २००५ के अंतर्गत प्रदत्त सभी अधिकारों का उपयोग करते हुए सभी जनपद प्रशासनिक तंत्र आपातकाल से संबंधित निर्णय लेते हैं । उदाहरणार्थ कुछ दिन पूर्व कोरोना का प्रसार रोकने हेतु सीधे संचारबंदी, जमाबंदी, शहरबंदी, साथ ही निजी चिकित्सालयों का अधिग्रहण करने जैसे निर्णय आवश्यक समय पर लिए गए । आपातकाल में जनपद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसी पद्धति से कार्यरत होता है । जिलाधिकारी इस प्राधिकारण के पदेन अध्यक्ष होते हैं । आनेवाले समय में जब युद्धजन्य स्थिति के कारण जनजीवन प्रभावित होने लगेगा, तब इस प्राधिकरण के माध्यम से ही सभी व्यवस्थाएं नियंत्रित की जाएंगी । आवश्यकता पडने पर केंद्र और राज्य सरकारें इस स्थिति के व्यापक नियंत्रण के लिए इस प्राधिकरण को और अधिक अधिकार देने के आदेश दे सकती हैं ।
तथापि आपातकाल में जनपद नियंत्रण कक्ष का अद्यतन होना, वायरलेस संदेश तंत्र का अधिकाधिक सक्षम होना, प्रत्येक संकट से लोगों को बचाने हेतु अधिक संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों का उपलब्ध होना, रसायन, गैस अथवा विस्फोटकों को नियंत्रित करने की क्षमता रखनेवाले विशेषज्ञों का दल तैयार रखना, सभी प्रकार के वाहन, सौर ऊर्जा के उपकरण, विद्युत जनित्र (जेनरेटर्स) को सुसज्जित रखना, बांध और जलजमाव के क्षेत्र में निजी और सरकारी नौकाएं तैयार रखकर सक्षम तैराकों की जानकारी उपलब्ध करके रखना, गांव-गांव में संक्रमणकारी रोग नियंत्रण दल तैयार रखना, जिला चिकित्सालय में नियंत्रण कक्ष को अद्यतन रखना, उपजिला, ग्रामीण एवं निजी चिकित्सालयों के साथ ही बडी संख्या में रुग्णवाहिकाएं तैयार रखना; बडी संख्या में स्ट्रेचर्स उपलब्ध कराना, रक्तकोषों को सक्षम और अद्यतन रखना, अग्निशमन दल जनपद में कहीं भी तुरंत जा सके, इस प्रकार रखना; निजी एवं सरकारी-आंशिक सरकारी सभी टैंकर्स को उपलब्ध कराना, भूकंपमापक केंद्र अद्यतन रखना, जनपद तंत्र को अभी से सभी प्रकार की तैयारी करके रखना अपेक्षित है; परंतु यह तैयारी करते समय सरकारी काम और ६ महीने की प्रतीक्षा इस तंत्र से सब चला, तो आनेवाले समय में क्या स्थिति होगी, यह बताना कठिन है ।
नंदुरबार जनपद के आपातकाल तंत्र की दुःस्थिति !
नंदुरबार जनपद का उदाहरण लेना हो, तो स्वास्थ्य विभाग अथवा पुलिस बल की सहायता ले सकते हैं । सरकारी कार्यालयों के पास उपलब्ध वाहन-व्यवस्था के स्तर पर सर्वत्र आनंद ही आनंद की स्थिति है । प्रशिक्षित नौकाआें और नौकाचालकों की संख्या केवल १२ है । सरकारी और निजी रुग्णवाहिनियों की संख्या कुल मिलाकर ५० है । अग्निशमन के लिए केवल ६ वाहन उपलब्ध हैं । जनपद में केवल ६ मल्टी स्टाईल स्ट्रेचर उपलब्ध हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्यतंत्र अभी भी चिंताजनक है । भीषण आपातकाल का सामना करने हेतु जनपद तंत्र को अभी बहुत तैयारी करनी पडेगी इससे यही संकेत मिलता है । इस दृष्टि से जनपद में अभी से जानकार स्वयंसेवकों का मोर्चा खोलने के लिए प्रधानता दी जानी चाहिए ।
– श्री. योगेंद्र जोशी, नंदुरबार
सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आपातकाल के संदर्भ में की जा रही जनजागृति
विविध सेवाभावी संस्थाआें और संगठनों की अपेक्षा आध्यात्मिक और धार्मिक संगठनों ने यह कार्य कब का आरंभ कर दिया है । सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी विगत २५ वर्षों से इस घोर आपातकाल के संदर्भ में बताते आ रहे हैं । प्रत्यक्ष संकटकाल में प्राथमिक चिकित्सा क्या होती है, रोगियों की चिकित्सा कैसे की जाती है, इसका प्रशिक्षण देकर स्वयंसेवकों को समय पर कैसे खडा किया जा सके ?, इसे ध्यान में लेकर सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति पिछले ५ वर्षों से प्राथमिक चिकित्सकीय वर्ग और जागृति अभियान चला रही हैं । अभी भी पिछले कुछ महीने से दैनिक सनातन प्रभात के माध्यम से, साथ ही ग्रंथ प्रकाशित कर आपातकाल के संदर्भ में विशेष जनजागृति की जा रही है । युद्धकाल में बिजली, ईंधन, यातायात, दूरभाष संपर्क व्यवस्था और आर्थिक आय का अभाव हो सकता है । उस स्थिति में कैसे टिका रहा जा सकता है, राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रशासन की सहायता की दृष्टि से कैसे कार्य करना है ? इस संदर्भ में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से लोगों का अध्ययनपूर्ण मार्गदर्शन किया जा रहा है ।
(युद्धजन्य समय में अर्थात आपातकाल में कठिन स्थिति कैसी रहेगी, यह जानने की जिज्ञासा रखनेवाले इस संदर्भ में सनातन संस्था के जालस्थल पर लेखमाला पढ सकते हैं ।)