लद्दाख में सामरिक दृष्टि से चीन से भी एक कदम आगे भारतीय सेना !
‘कुछ दिन पूर्व लद्दाख में २ अत्यंत महत्त्वपूर्ण घटनाएं हुईं । ये घटनाएं भारत और चीन के संघर्ष के परिप्रेक्ष्य में बहुत प्रभावशाली सिद्ध होंगी । इन घटनाआें के संदर्भ में भारतीय सेना का महत्त्व अब समझते हैं ।
१. टीलों पर भारतीय सेना की तैनाती होने से चीन के लिए आक्रमण करना कठिन !
सर्वप्रथम भारतीय सेना ने ऊंचाई पर स्थित अनेक टीले अपने नियंत्रण में किए और वहां सैनिकों की तैनाती की । इससे पहले चीनी सेना अतिक्रमण करते हुए सडक पर आकर भारत की सीमा में घुसने का प्रयास करती थी । किसी टीले पर जाने का उनका विचार नहीं होता था । अब भारतीय सेना ने यह बहुत अच्छा कदम उठाया है । इस क्षेत्र में स्थित सभी शिखरों पर सैनिकों की तैनाती करने से युद्ध आरंभ होने पर चीन को बडी सेना के साथ भारत पर आक्रमण करना पडेगा; क्योंकि जब भारतीय सेना पर्वत की चोटी पर होगी, तब चीन को भारतीय सेना की तुलना में १५ से २० गुना सैनिक लाने होंगे । पहले चीन हमारे साथ मानसिक युद्ध कर रहा था; परंतु भारत ने उसे यह दिखा दिया है कि केवल चेतावनी देकर और दुष्प्रचार कर युद्ध जीता नहीं जा सकता । युद्ध जीतना हो, तो सैनिकों को शत्रु राष्ट्र के सैनिकों पर आक्रमण कर ही प्रदेश जीतना पडता है ।
भारतीय माध्यमों में कार्यरत कुछ चीनीप्रेमी यह दुष्प्रचार करते थे कि चीन ने हमारा कुछ सहस्र कि.मी. भूभाग पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है । चीन ने कभी भी हमारा इतना प्रदेश अपने नियंत्रण में नहीं लिया था । केवल जहां सडकें थीं, उस पैंगांग स्तो तालाब और गलवान घाटी में २-३ कि.मी. तक अंदर उनकी सेना आई थी । आजकल वे एक सडक पर आ तो गए हैं; परंतु अब किसी भी प्रदेश पर उनका नियंत्रण नहीं रह सकता; क्योंकि अब उन सडकों के निकट के पहाडों पर भारतीय सेना की तैनाती की गई है ।
२. भारत चीन पर हावी !
दूसरी महत्त्वपूर्ण घटना यह कि हम लद्दाख में सडकें, अद्यत ‘लैंडिंग ग्राउंड्स’, ‘हेलिकॉप्टर लैंडिंग ग्राउंड्स’ मजबूत कर रहे हैं । भारत ने इस सीमा पर एक नई सडक खोल दी है, जिसके कारण भारतीय सेना को किराना और अन्य सामग्री पहुंचाने के लिए २ सडकें बनी हैं । उनमें से एक सडक श्रीनगर से कारगिल मार्ग से लेह को जाता है; परंतु हिमवर्षा के कारण वह सडक ५ से ६ महीने तक बंद रहती है । दूसरी नई सडक हिमाचल के बाजू से जाती है, वह मनाली अथवा खर्दुंग मार्ग से लेह तक जाती है । पहले हिमवर्षा के कारण यह सडक भी ५ से ६ महीने बंद होती थी; परंतु अब सरकार द्वारा यहां सुरंगें बनाने के कारण अब यह सडक वर्ष में ८ से ९ महीने खुली रह सकती है, साथ ही वहां और २ सुरंगें बनाई जा रही हैं । इसके कारण यह सडक अब पूरे वर्ष खुली रहेगी । इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह कि लेह की ओर जानेवाली यह सडक पठार के पीछे छिपी हुई है । इसके कारण चीन को इस सडक पर आक्रमण करना संभव नहीं है । चीन को भारत पर सैन्य आक्रमण करना हो, तो उसे बहुत विचार करना पडेगा । इस संदर्भ में भारत चीन पर हावी है; इसलिए भारतीय सेना सामरिक दृष्टि से चीन से एक कदम आगे है’, ऐसा कहा जा सकता है ।’
– (सेवानिवृत्त) ब्रिगेडियर हेमंत महाजन, पुणे