‘ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड’ ने घटया गुणवत्तावाले बारूद के कारण सेना के ९६० करोड रुपए की हानि होने का दावा अस्वीकार किया !
सेना द्वारा बारूद की ठीक से देखभाल न होने से दुर्घटनाएं होने का लगाया आरोप
युद्धकाल में २ महत्त्वपूर्ण विभागों द्वारा एक-दूसरे पर ऐसे आरोप लगाना उचित नहीं है । दोनों विभागों को एक-दूसरे के साथ समन्वय कर इसके संदर्भ में नीतिगत समाधान निकालना चाहिए । इन दोनों विभागों में सुसंवाद हो, तो उससे शत्रु से निपटना सुलभ होगा !
नई देहली : रक्षा मंत्रालय को भेजे गए आंतरिक ब्यौरे में वर्ष २०१४ से २०२० की अवधि में सरकारी ‘ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड’ द्वारा घटिया गुणवत्तावाले बारूद की खरीद किए जाने से सेना को ९६० करोड रुपए का घाटा हुआ है । इतने पैसों में मध्यम दूरी की १०० तोपों की खरीद की जा सकती थी । इस बारूद के कारण दुर्घटनाएं होकर उसमें प्राणहानि भी हुई है । औसतन प्रति सप्ताह एक दुर्घटना होती है, जिसमें सैनिक घायल होते हैं अथवा उनकी मृत्यु होती है, यह जानकारी दिए जाने की बात सामने आई थी । अब इस पर ‘ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड’ के द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में बोर्ड ने सेना पर ही आरोप लगाया है । बोर्ड ने कहा है कि ‘बारूद ठीक से रखे न जाने से और तोपों की ठीक से देखभाल न करने से ही दुर्घटनाएं हो सकती हैं ।’ बोर्ड द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि ‘जनवरी २०१५ से दिसंबर २०१९ की अवधि में हुए दुर्घटनाओं की जांच पूरी हो चुकी है ।
The report pointed out that out of the Rs 960-crore loss, ammunition worth Rs 658.58 crore was disposed of within their shelf life, between April 2014 and April 2019.
Mines worth Rs 303.23 crore were disposed of within their shelf life since May 2016.https://t.co/VMQ89b7vL5
— The Wire (@thewire_in) September 30, 2020
बोर्ड ने कहा है कि
१. कारगिल युद्ध के समय आयात किए गए ५२२ करोड ४४ लाख रुपए के सदोष क्रास्नोपोल बारूद के संदर्भ में यदि इसी प्रकार का तर्क लगाया गया, तो इतने पैसों में ५५ आर्टिलरी गन की खरीद की जा सकती थी ।
२. गोलाबारी का दोषयुक्त अभ्यास, साथ ही शस्त्रों की रचना को अयोग्य पद्धति से बदलने के प्रयास के कारण ही दुर्घटनाएं हो सकती हैं ।
३. इनमें से १९ दुर्घटनाएं घटिया गुणवत्तावाले बारूद के कारण हुई हैं । उनमें से मृत्यु की घटनाओं में से केवल २ प्रतिशत घटनाएं ही बोर्ड से संबंधित हैं ।