परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
आपातकाल में अणुबम की सहायता से अधिक संहार होगा ! – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी
‘तीसरा विश्वयुद्ध अत्यधिक महाभयंकर होगा । भारत को भी इसमें फंसाया जाएगा । अणुबम की सहायता से होनेवाला संहार अधिक होगा । अनेक गांव ध्वस्त हो जाएंगे । तीसरे विश्वयुद्ध के कारण पृथ्वी पर रज-तम बडी मात्रा में बढेगा । इसलिए तीसरे विश्वयुद्ध के उपरांत संपूर्ण पृथ्वी की सात्त्विकता बढाने के लिए पृथ्वी की शुद्धि करनी पडेगी । उसके लिए अनेक संत तैयार होने चाहिए । इसलिए साधकों को अभी से साधना बढाना आवश्यक है ।’
- तृतीय विश्वयुद्ध के समय प्राणरक्षा हेतु साधना करें !
‘न मे भक्तः प्रणश्यति ।’
– श्रीमद़्भगवद़्गीता, अध्याय ९, श्लोक ३१ अर्थ : मेरे भक्त का नाश नहीं होता ।
भक्त की, अर्थात साधना करनेवाले की भगवान रक्षा करते हैं । यह जानकर अभी से कठोर साधना आरंभ करे, तो ही तृतीय विश्वयुद्ध में बचेंगे ।’
- ‘हिन्दू राष्ट्र में (सनातन धर्म राज्य में) समाचार-पत्र, दूरदर्शन वाहिनी, जालस्थल आदि का उपयोग केवल धर्मशिक्षा और साधना के लिए किया जाएगा । इसलिए, हिन्दू राष्ट्र में अपराधी लोग नहीं होंगे और सब लोग ईश्वरप्राप्ति के लिए आराधना करनेवाले होने के कारण आनंदित रहेंगे ।’
- हास्यास्पद साम्यवाद !
‘आध्यात्मिक शब्द ‘प्रारब्ध’ और ईश्वर की पूर्णतः उपेक्षा करने के कारण साम्यवाद १०० वर्ष में ही समाप्त होने के समीप पहुंच गया है !’ - ‘जिस पृथ्वी के सब लोग समान नहीं हैं; इसी प्रकार वृक्ष, पर्वत, नदियां आदि एक जैसे नहीं दिखाई देते, वहां ‘साम्यवाद’ शब्द हास्यास्पद नहीं है क्या ?’
- ‘पूर्वकाल में घूस लेनेवाले व्यक्ति को ढूंढना पडता था; किंतु अब, घूस न लेनेवाले व्यक्ति को ढूंढना पडता है !’
– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले