माईसरखाना (पंजाब) में प्राचीन माता मंदिर में कट्टरपंथियों द्वारा नमाज अदा
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- क्या कट्टरपंथी कभी मस्जिदों में हिन्दुओं को पूजा-आरती करने की अनुमति देते हैं ? हिन्दुओं में धार्मिक शिक्षा का अभाव होने के कारण, कट्टरपंथियों को उनके मंदिर में नमाज अदा करने की अनुमति देकर धर्महानि की जाती है !
- मंदिरों में प्रसाद के रूप में मांस फेंकनेवाले कट्टरपंथियों के पराकोटि के द्वेष को हिन्दू पहचानें ! हिन्दुओं को अपने संगठित प्रयत्न के द्वारा ऐसे लोगों को कारागार में डालने के लिए सरकार पर दबाव डालना चाहिए !
बठिंडा (पंजाब) – कुछ दिनों पूर्व माईसरखाना गांव के २५० से ३०० कट्टरपंथियों ने प्राचीन माता मंदिर (अंतर्गत मालवा प्रांत सभा और संस्कृत महाविद्यालय) में नमाज अदा की । शिवसेना (हिन्दुस्तान) ने पुलिस उपायुक्त को दिए एक बयान में आरोपियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की ! इस अवसर पर संगठन मंत्री सुशील कुमार जिंदल, जिला सचिव गुरविंदर बराड और जिला उपाध्यक्ष काका बाबू उपस्थित थे । ऐसी जानकारी मिली है कि मंदिर के कुछ पदाधिकारियों ने ही नमाज की अनुमति दी है ।
बयान में कहा गया है कि सनातन धर्म की परंपरा के अनुसार, प्रत्येक समुदाय को मंदिर में जाने और प्रसाद प्राप्त करने का अधिकार है; किंतु किसी भी अन्य संप्रदाय को उनकी परंपरा के अनुसार मंदिर के भीतर किसी भी प्रकार का अनुष्ठान करने की अनुमति नहीं है । तथापि मंदिर प्रबंधन समिति के पूर्व पदाधिकारियों की उपस्थिति में, धर्मांधों ने मंदिर में समारोह आयोजित किया और यज्ञ शाला के सामने भोग (प्रसाद) के रूप में मांस फेंका । (ऐसे हिन्दू ही हिन्दू धर्म के वैरी हैं ! – संपादक)
भोग लगाते समय कट्टरपंथियों ने चीख चीख कर नमाज अदा की । इस घटना की ऑडियो रिकॉर्डिंग प्रसारित होने के उपरांत मंदिर समिति के पूर्व सदस्यों ने अगले दिन गंगा जल छिडक कर पूजा-अर्चना करने का नाटक किया । इस घटना ने मंदिर से जुडे सभी भक्तों की भावनाओं को आहत किया है । इसलिए, आरोपियों के विरुद्ध कठोर धाराओं के अनुसार अपराध प्रविष्ट करने की मांग की गई है !