राज्यसभा में जोरदार हंगामे में एकमत से कृषि संबंधित विधेयक पारित
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- ‘लोकतंत्र का मंदिर’ कहे जानेवाली संसद में विपक्षी दलों द्वारा इस प्रकार का कृत्य लज्जाप्रद ! ऐसे सांसदों की सदस्यता रद्द कर उनके पुनः चुनाव लडने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए !
- वर्ग में हंगामा करनेवाले विद्यालयीन बच्चों को जिस प्रकार दंडित किया जाता है; उस प्रकार इन जनप्रतिनिधियों को झुकाकर खडे करने की, कान पकडकर उठक-बैठक लगाने का दंड देने की किसी ने मांग की, तो उसमें आश्चर्य कैसा ?
नई देहली – राज्यसभा में विरोधी दलों द्वारा किए गए बडे हंगामे में सरकार ने संसद में कृषि से संबंधित विधेयकों को एकमत से पारित कराया । कृषि उत्पाद एवं वाणिज्य (प्रोत्साहन एवं सुविधाएं) और किसान (अधिकार एवं सुरक्षा) मूल्य आश्वस्तता, १७ सितंबर को राज्यसभा में इन २ विधेयकों को पारित किया गया ।
Rajya Sabha passes the Farmers' and Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill, 2020 and Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Bill, 2020, amid protest by Opposition MPs https://t.co/JqGYfi8k4x
— ANI (@ANI) September 20, 2020
१. सवेरे जब केंद्रीय कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इन विधेयकों को राज्यसभा में प्रस्तुत कर रहे थे, तब विरोधी सदस्यों ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए हंगामा करना आरंभ किया ।
२. सभापति के सामने के खुले स्थान में जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध नारेबाजी भी की गई । विरोधी दलों ने यह कहते हुए आलोचना की कि ‘ये प्रस्तावित कानून किसानों को उनकी आत्मा पर प्रहार होने जैसे लग रहे हैं; इसलिए हम इस मृत्यु के वॉरंट पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे ।’
३. द्रमुक सांसद एलेंगोवन ने कहा कि देश की कुल जीडीपी में किसानों का योगदान २० प्रतिशत है । इन विधेयकों के कारण उन्हें गुलाम बना दिया जाएगा । ये विधेयक किसानों को मार डालेंगे और एक वस्तु बनाकर रखेंगे ।
४. कांग्रेस के सदस्य गुलाम नबी आजाद ने इस पर चर्चा का समय बढाने की मांग की । उन्होंने कहा कि ‘सदस्यों की यह इच्छा है कि कृषिमंत्री को आज नहीं, अपितु कल उत्तर देना चाहिए’; परंतु तोमर ने अपना निवेदन जारी ही रखा था । उसके कारण क्षुब्ध सांसदों ने उनके सामने के ध्वनिक्षेपक को तोडा, तो तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तो सीधे सभापति के सामने जाकर सदन नियमावली पुस्तक को ही फाड दी । (इस प्रकार अनुशासनहीन और आक्रामक वृत्ति के सांसद जनता का क्या दिशादर्शन करेंगे ? – संपादक)
५. इस हंगामे के चलते ही विधेयकों को पारित किया गया और उसके पश्चात सदन का कामकाज निलंबित रखा गया ।
सौजन्य : ANI News
ये विधेयक एमएसपी से (न्यूनतम समर्थन मूल्य से) संबंधित नहीं हैं ! – कृषिमंत्री
कृषिमंत्री तोमर ने कहा कि ये दोनों विधेयक ऐतिहासिक हैं । उनके कारण किसानों के जीवन में आमूलचूल बदलाव आएगा । इससे किसान अपनी उपज को पूरे देश में कहीं भी बेच सकेंगे । मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इन विधेयकों का एमएसपी से (‘मिनिमम सपोर्ट प्राइज’ से) कोई संबंध नहीं है । कृषि उपज की खरीद एमएसपी के अनुसार की जा रही है और की जाएगी । इस पर किसी को शंका उपस्थित करने की आवश्यकता नहीं है ।
क्या इन विधेयकों के कारण किसानों की आत्महत्याएं रुकेंगी ? – शिवसेना
शिवसेना ने इन विधेयकों का समर्थन किया है । चर्चा में शिवसेना नेता तथा सांसद संजय राऊत ने प्रश्न उठाते हुए कहा कि देश के ७० प्रतिशत लोग कृषि के साथ जुडे हैं । पूरी यातायात बंदी की अवधि में भी किसान काम करते रहे थे । इन विधेयकों के पारित होने के पश्चात क्या किसानों की आय दोगुनी होगी, क्या सरकार इसकी आश्वस्तता देगी कि इसके आगे देश में एक भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा ?