(कहते हैं) ‘लोगों को तेंदुए से समझौता कर लेना चाहिए !’ – जबलपुर वन विभाग का उच्च न्यायालय में उत्तर
दायित्वहीनऔर असंवेदनशील उत्तर देनेवाला वन विभाग ! अब यदि लोग मांग करें कि‘पहले वन विभाग ही यह कृत्य करे’,तो क्या वन विभाग इससे सहमत होगा ?
जबलपुर (मध्य प्रदेश) – यहां के नयागांव क्षेत्र में घूम रहा तेंदुआ नरभक्षी नहीं है । उसने अभी तक एक भी मनुष्य पर आक्रमण नहीं किया है । कुत्ते आदि छोटे प्राणी उसका प्राकृतिक भोजन और शिकार हैं । इसलिए लोगों को उसे जीवित रहने देना चाहिए । यह परिसर वनक्षेत्र से निकट लगा होने से लोगों को तेंदुए से समझौता कर लेना चाहिए, ऐसा उत्तर वन विभाग ने उच्च न्यायालय में दिया है । जबलपुर के नयागांव में तेंदुओं का मानवीय बस्ती में सदैव विचरण होने से परिसर के नागरिक भयभीत हैं । नागरिकों को प्रतिदिन यह तेंदुआ कहीं न कहीं दिखाई पडता ही है; परंतु वन विभाग को अभी तक यह तेंदुआ दिखाई नहीं दिया है । इस पर नागरिकों ने तेंदुए के इस क्षेत्र में घूमते समय छायाचित्र खींचकर उन्हें वन विभाग को भेजा; परंतु तब भी वन विभाग को अभी तक तेंदुआ दिखाई नहीं दिया है । इसके कारण अभी तक उसका बंदोबस्त नहीं किया गया है । फलस्वरूप यह प्रकरण न्यायालय तक पहुंच गया है ।
सरकारी विभाग से ऐसे उत्तर की अपेक्षा नहीं है ! – समाजसेवक रजत भार्गव
वन विभाग के इस उत्तर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए न्यायालय में समाजसेवक रजत भार्गव का पक्ष रखनेवाले अधिवक्ता आदित्य संघी ने कहा, ‘‘सरकारी विभाग से ऐसे उत्तर की अपेक्षा नहीं की जा सकती । यह उत्तर विचित्र और दायित्वहीन है तथा तेंदुओं के संकट की अनदेखी करनेवाला है ।’’