सरकार की ओर से गुणवत्तापूर्ण ‘मास्‍क’ उपलब्‍ध न करवाना और उसके संदर्भ में जागृति न लाना कोरोना संक्रमण रोकने में बनी एक बाधा !

     विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के निर्देशों का पालन न होने के संदर्भ में आरोग्‍य साहाय्‍य समिति की ओर से देहली, हरियाणा, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, गोवा एवं कर्नाटक राज्‍यों की सरकारों को विज्ञापन प्रस्‍तुत

     मुंबई (महाराष्‍ट्र) – कोरोना संक्रमण रोकने हेतु राज्‍य सरकार व्‍यक्‍तिगत स्‍तर पर नागरिकों को ‘मास्‍क’ का उपयोग करने का आवाहन कर रही है । इस संदर्भ में विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने कुछ महत्त्वपूर्ण मापदंड सुनिश्‍चित किए हैं । उनके अनुसार ‘मास्‍क’ ३ स्‍तरीय और विशिष्‍ट पद्धति से बने होने आवश्‍यक हैं । वास्‍तव में राज्‍य में बडी मात्रा में रुमाल, सूती कपडा अथवा विषाणु को रोकने की गुणवत्ता रहित ‘मास्‍क’ का उपयोग किया जा रहा है । इसके कारण कोरोना प्रकोप बढने की संभावना है । सरकार की ओर से गुणवत्तापूर्ण ‘मास्‍क’ उपलब्‍ध न करवाना और उसके संदर्भ में समाज में जागृति न लाना कोरोना संक्रमण रोकने में एक बाधा है । सरकार इसकी गंभीरता ध्‍यान में लेकर कोरोना संक्रमण रोकने हेतु सक्षम ‘मास्‍क’ का उपयोग होने हेतु, साथ ही विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन द्वारा सुनिश्‍चित किए गए मापदंडों का पालन होने के लिए ठोस उपाय करे । हिन्‍दू जनजागृति समिति प्रणीत आरोग्‍य साहाय्‍य समिति ने यह मांग की है । इस संदर्भ में आरोग्‍य साहाय्‍य समिति की ओर से देहली, हरियाणा, राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, महाराष्‍ट्र, गोवा और कर्नाटक राज्‍यों के मुख्‍यमंत्री, साथ ही सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के प्रधान सचिवों को ज्ञापन भेजे गए हैं ।

     इस ज्ञापन में कहा गया है कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने ५ जून २०२० को ‘मास्‍क’ के संबंध में प्रसारित किए गए मार्गदर्शक निर्देशों के अनुसार एक और दो स्‍तरीय मास्‍क कोरोना संक्रमण रोकने में सक्षम नहीं हैं । कोरोना संक्रमण रोकने हेतु कपडे से बनाए गए ‘नॉन-मेडिकल मास्‍क’ के लिए न्‍यूनतम ३ स्‍तर आवश्‍यक हैं । मास्‍क का बाहरी स्‍तर ‘हाइड्रोफोबिक’ मटेरियल का (‘पॉलीप्रॉपिलिन’, ‘पॉलिएस्‍टर’ अथवा उनके मिश्रण का); मध्‍य का स्‍तर ‘सिंथेटिक’ तथा न बुनी हुई सामग्री का (पॉलीप्रॉपिलिन अथवा कपास के स्‍तर का), तथा भीतरी स्‍तर ‘हाइड्रोफिलिक मटेरियल’ का (कपास अथवा सूती मिश्रण का) होना अपेक्षित है । सरकार के दिए निर्देशों में ‘मुंह को रुमाल अथवा मास्‍क से ढंकें’, इस प्रकार का औपचारिक संदेश होने के कारण नागरिक सहजता से रुमाल अथवा सूती ‘मास्‍क’ का उपयोग कर रहे हैं । स्‍वाभाविक रूप से नागरिकों में ‘हम सरकार के बताए निर्देशों का पालन कर रहे हैं’, यह भ्रम है । उसके कारण वे एक प्रकार से चिंतामुक्‍त हैं; परंतु तब भी कोरोना संक्रमण बढता ही जा रहा है ।

     अतः सरकार वर्तमान स्‍थिति को ध्‍यान में लेकर संबंधित विभागों को, बाजार में बिक रहे और उपयोग में लाए जा रहे ‘मास्‍क’ की गुणवत्ता का गंभीरता से अध्‍ययन करने के आदेश दे । मास्‍क के संदर्भ में न्‍यूनतम आवश्‍यक बातों की तुरंत प्रसिद्धि कर जनजागृति करे । बाजार में जो मास्‍क बेचे जा रहे हैं; वे न्‍यूनतम गुणवत्तावाले हैं न ?, इसकी आश्‍वस्‍तता कर अन्‍न एवं औषधीय प्रशासन विभाग तत्‍काल कार्यवाही करे । न्‍यूनतम आवश्‍यक गुणवत्तावाले ‘मास्‍क’ न बेचे जाने को अपराध घोषित किया जाए तथा उसके लिए दंड का प्रावधान भी हो, साथ ही ऐसे मास्‍क बाजार में सर्वत्र उपलब्‍ध किए जाएं । आरोग्‍य साहाय्‍य समिति ये मांगें करती है ।