केरल राज्य में मुसलमानों की जन्मदर हिन्दुओं से अधिक
वर्ष २०४२ तक केरल होगा मुसलमानबहुल राज्य
देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून, धर्मांतरण विरोधी कानून और समान नागरिक अधिनियम जब तक लागू नहीं होता, तब तक इस देश में हिन्दुओं का अस्तित्व संकट में ही रहेगा । यदि स्थिति ऐसी ही रही, तो भारत एक दिन ‘इस्लामी देश’ हुए बिना नहीं रहेगा !
कोची (केरल) – केरल में कुछ समय पूर्व ही वार्षिक जन्म-मृत्यु ब्यौरा घोषित हुआ है । इस ब्यौरे के अनुसार जन्मदर के संबंध में मुसलमान हिन्दू से आगे हैं । मुसलमानों की जन्मदर ४३.७४ प्रतिशत है तथा हिन्दुओं की जन्मदर ४१.६९ प्रतिशत । ईसाइयों की जन्मदर १४.३० है । मृत्युदर में हिन्दू ६०.५४ प्रतिशत, ईसाई १९.८६ प्रतिशत तथा मुसलमान १९.१५ प्रतिशत है ।
Muslim birth rate over took Hindus in Kerala by 2%.
This can only grow in coming days. Around 2030 under 18 population of Kerala going to b muslim majority.
Death rate of Hindus is 60% means more senior citizens r Hindus and that generation ending.https://t.co/Cx3nPbirO3
— Pratheesh Viswanath (@pratheesh_Hind) August 16, 2020
यहां की ‘सत्यविजय’ समाचारवाहिनी से बात करते समय ‘हिन्दू सेवा केंद्र’ के संस्थापक प्रथमेश विश्वनाथ ने कहा,
१. ‘इन आंकडों के अनुसार, वर्ष २०३३ तक केरल में १८ वर्ष से नीचे के मुसलमानों की जनसंख्या अधिक होगी और वर्ष २०४२ तक केरल में मुसलमान की जनसंख्या ५१ प्रतिशत होगी । जब तक केंद्र सरकार ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून’ लागू नहीं करती, तब तक केरल में जनसंख्या और उसके सामाजिक परिणामों में भीषण परिवर्तन होंगे ।
२. मुसलमानों की जन्मदर बढने का मुख्य कारण है विवाह की आयु ! हिन्दुओं में लडका साधारणतः ३० से ३५ वर्ष की आयु में विवाह करता है तथा लडकी २५ से ३० वर्ष की आयु में । मुसलमानों में लडके २० से २५ तथा लडकियां १८ से २० वर्ष की आयु में विवाह करती हैं ।
३. केरल राज्य में केवल २२ प्रतिशत भूमि हिन्दुओं के स्वामित्व की है तथा व्यवसाय की मात्रा १७ प्रतिशत है । हिन्दू केवल १४ प्रतिशत बैंक लेन-देन करते हैं । इस प्रकार केरल राज्य में हिन्दू वंशविच्छेद के मार्ग पर हैं तथा २-३ पीढियों में वे पूर्णतः समाप्त हो जाएंगे । आज केरल में जो घट रहा है, कल वह संपूर्ण भारत में घटेगा ।’