वर्ष २००५ के उपरांत जन्मी लडकियों को भी पैतृक संपत्ति में समान अधिकार ! – सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

प्रतीकात्मक छायाचित्र

नई देहली – सर्वाेच्च न्यायालय ने ११ अगस्त को दिए गए एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में आदेश दिया है कि ‘वर्ष २००५ के उपरांत जन्मी लडकियों को भी पैतृक संपत्ति में लडकों की भांति ही समान अधिकार मिलेगा । वर्ष १९५६ में लागू ‘हिन्दू विरासत अधिकार विधि’ में वर्ष २००५ में संशोधन किया गया था । पैतृक संपत्ति में (अचल संपत्ति में भी) लडकों की भांति जन्म से ही भागीदार के रूप में अधिकार दिलाने के संदर्भ में यह संशोधन किया गया था । इस संदर्भ में सर्वाेच्च न्यायालय में ‘लडकी का जन्म यदि वर्ष २००५ के उपरांत अर्थात विधि में संशोधन करने के उपरांत हुआ हो, तो क्या उसके लिए संपत्ति में समान अधिकार अस्वीकार किया जा सकता है ?’, इस शंका की याचिका प्रविष्ट की गई थी । इस पर न्यायालय ने उक्त निर्णय दिया है ।

१. न्यायालय ने निर्णय देते हुए कहा कि जब विधि में संशोधन किया गया, उस समय भले ही लडकी का जन्म नहीं हुआ हो, तब भी उसे संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा, उस समय उसके पिता जीवित हों अथवा न हों, पैतृक संपत्ति में लडकी को समान अधिकार मिलेगा ।

२. इससे पूर्व वर्ष १९५६ की विरासत विधि के अनुसार परिवार की पैतृक संपत्ति में केवल पिता की मृत्यु के पश्चात ही लडकियों को हिस्सा मिलता था, तो लडकों को पिता की मृत्यु के पश्चात विरासत से मिलनेवाले हिस्से के अतिरिक्त जन्म से ही सह हिस्सेदार के रूप में भी हिस्सा मिलता था इस प्रकार उसे दोनों ओर से हिस्सा मिलता था ।