राममंदिर का भूमिपूजन कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मुहुर्त स्थापित किया है ! – असदुद्दीन ओवैसी की द्वेषपूर्ण आलोचना
- ‘१५ मिनट के लिए पुलिस को हटा दिया जाए, तो १०० करोड हिन्दुओं को समाप्त कर देंगे’, ऐसी भाषा बोलनेवाले असदुद्दीन ओवैसी के बंधु का प्रक्षोभक कथन क्या भारत में इस्लामी राष्ट्र स्थापित करने का मुहुर्त नहीं था ? इस संबंध में ओवैसी क्यों नहीं बोलते ?
- क्रूरकर्मी बाबर ने राममंदिर तथा उसके अनुयायी आक्रमणकारियों ने हिन्दुओं के सहस्रों मंदिर तोडे, वह इस देश में इस्लामी राष्ट्र की स्थापना के उद्देश्य से किया गया था,ओवैसी यह क्यों भूलते हैं ? तथापि छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप आदि अनेक महापुरुषों ने उनके पराक्रम के बल पर आक्रमणकारियों के विचार बिखेर दिए थे, यह भी इतिहास है !
- कहां एक प्रार्थनास्थल के लिए पैर पटकनेवाले ओवैसी, तो कहां मुगलों द्वारा सहस्रों मंदिर उद्ध्वस्त करने पर भी उसके विरुद्ध आवाज उठाना तो छोडें; अपितु उसके संबंध में सामान्य जानकारी भी न रखनेवाले हिन्दू ! इसके लिए हिन्दुओं को सत्य इतिहास जानना आवश्यक !
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की पराजय हुई है, ऐसा भी विषवमन
भाग्यनगर – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राममंदिर का भूमिपूजन कर हिन्दू राष्ट्र स्थापना का मुहुर्त स्थापित किया है, ‘मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ अर्थात एमआईएम दल के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसा विषवमन किया है । ‘५ अगस्त का दिन हिन्दुत्व और बहुसंख्यकवाद की विजय का तथा लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की पराजय का है’, ऐसा विषवमन उन्होंने किया है ।
ओवैसी आगे बोले,
१. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्मभूमि के कार्यक्रम में सम्मिलित होकर प्रधानमंत्री पद की ली हुई शपथ का उल्लंघन किया है । इसके साथ ही उन्होंने संविधान के ‘धर्मनिरपेक्ष’ तत्त्व का भी उल्लंघन किया है ।
२. राममंदिर का भूमिपूजन उस स्थान पर किया गया, जहां ४५० वर्षाें से मस्जिद खडी थी । (परंतु उससे पूर्व वहां मंदिर था और उसे तोडकर मस्जिद बनाई गई, उसका क्या ? – संपादक) यह मस्जिद भाजपा के वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद ने तोडी थी ।
३. कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष दल केवल बंधुत्व की बातें करते हैं; परंतु न्याय के बिना बंधुत्व कैसे बना रह सकता है ?
(कहते हैं) यह देश ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनने से रोकने के लिए मुसलमान और
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ओवैसी आगे बोले कि, ‘‘मुसलमान हिम्मत न हारें । लाखों हिन्दू ऐसे हैं, जो हिन्दुत्वनिष्ठ विचारधारा को नहीं मानते । हम सब को एक होकर इस देश को ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनने से रोकने के लिए लोकतांत्रिक मार्ग से काम करना पडेगा । मस्जिद सदैव मस्जिद ही रहती है । बाबरी मस्जिद का संघर्ष केवल मुसलमानों के लिए नहीं था, अपितु वह भारत को बचाने के लिए किया गया संघर्ष था ।’’