बंगाल में ‘प्रज्ञा’ नामक युवती बनी बांग्लादेशी जिहादी आतंकवादी आयशा !
आयशा को बांग्लादेश में बनाया बंदी !
हिन्दुआें को धर्मशिक्षा न मिलने से उनका कोई भी धर्मपरिवर्तन कर उन्हें आतंकवादी अथवा धर्मपरिवर्तन के काम में ढकेल देता है । इसे रोकने के लिए हिन्दुआें को संगठित होकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी चाहिए !
ढाका (बांग्लादेश) – ढाका पुलिस के ‘काऊंटर टेररिजम एंड ट्रांसनैशनल क्राईम’के (सीटीटीसी की) शाखा ने यहां २५ वर्षीय आयशा (पहले की प्रज्ञा) नामक युवती को बंदी बनाया है । यह युवती बंदी लाई गई जिहादी आतंकवादी संगठन ‘जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश’की (जे.एम.बी.की) सदस्य है ।
Pragya Debnath from Bengal who converted to Islam in 2009 under the influence of her ‘best friend’, arrested from Dhaka for terror links
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— OpIndia.com (@OpIndia_com) July 18, 2020
पुलिस की छानबीन में निम्न बातों का खुलासा हुआ
१. आयशा हिन्दू धर्मीय थी और जब वह ९ वीं कक्षा में पढती थी, तब उसका धर्मपरिवर्तन किया गया था । उसका मूल नाम प्रज्ञा देबनाथ था । वह कोलकाता के धनियाकाली पुलिस थाने के अंतर्गत आनेवाले केशाबपुर गांव की निवासी थी । उसकी एक मुसलमान लडकी से घनिष्ठ मित्रता थी । उसके प्रभाव में आकर वर्ष २००९ में उसके साथ विश्वासघात कर धर्मपरिवर्तन किया गया । (इससे ध्यान में आता है कि हिन्दू लडकियों को किससे मित्रता करनी चाहिए और किससे नहीं ! – संपादक)
२. तदुपरांत उसका नाम ‘आयशा जन्नत मोहोना’ रखा गया । फिर उसे सलाफी शाखा के (इस्लाम में सुन्नी मुसलमानों की एक शाखा है । यह अत्यंत कट्टरतावादी शाखा के रूप में पहचानी जाती है ।) मौलवी ने कट्टरता की शिक्षा दी । तत्पश्चात वह ‘जे.एम.बी.’की महिला शाखा के संपर्क में आई और उसे इस संगठन का सदस्य बनाया गया । इसके लिए इस शाखा की प्रमुख असमानी खातून (बोंदी जिबोन) नेे प्रमुख भूमिका निभाई ।
३. फिर आयशा को हिन्दू लडकियों को प्रलोभन देकर उनके धर्मपरिवर्तन का काम सौंपा गया । (हिन्दुआें का धर्मपरिवर्तन कर उनके ही माध्यम से अन्य हिन्दुआें के धर्मपरिवर्तन का काम ईसाई और धर्मांध करते हैं, यह ध्यान रखें ! स्वामी विवेकानंद ने कहा था, ‘एक हिन्दू का धर्मपरिवर्तन होने से एक हिन्दू कम हुआ’, ऐसा नहीं, अपितु ‘एक शत्रु बढ जाता है !’ – संपादक)
४. इसके अंतर्गत वह हिन्दू लडकियों की पहचाना सलाफी मौलवियों से करवाती थी । तदुपरांत मौलवी इन लडकियों का ‘ब्रेन वॉश’ कर उन्हें संगठन में सहभागी कर लेते थे ।
५. आयशा ने हाल ही में आमीर हुसैन सद्दाम नामक बांग्लादेशी मुसलमान से दूरभाष पर ही निकाह किया था । आमीर वर्तमान में ओमान में रहता है । उसके कहने पर ही वह बांग्लादेश में रहने के लिए गई थी और वहां के मदरसे में वह शिक्षक के रूप में कार्यरत थी ।
६. बांग्लादेश में उसका मुख्य काम था जो जिहादी बन सकते हैं, ऐसे मुसलमान युवकों को ढूंढना । वह सामाजिक माध्यमों से भी यह काम करती थी । इस माध्यम से उसने अनेक युवकों को जे.एम.बी.का सदस्य बनाया था और अनेक बंगाली युवकों को बांग्लादेश लाई थी । बंदी बनाए जाने पर वह जरा भी नहीं डगमगाई । (धर्मांतरित अधिक कट्टर होते हैं, इसका एक और उदाहरण ! जब हिन्दू होते हैं तब घबराते हैं; परंतु धर्मपरिवर्तन करने के उपरांत वे उद्दंड हो जाते हैं ! – संपादक)
बंगाल के मदरसे और मस्जिद हैं जे.एम.बी.के गढ !
पहले साम्यवादी और अब तृणमूल काँग्रेस की ढोंगी धर्मनिरपेक्षता से राज्य में बंगाल जिहादी आतंकवादियों का गढ बन गया है । राष्ट्रप्रेमियों को लगता है कि यह स्थिति बदलने के लिए केंद्र सरकार को कठोर निर्णय लेेकर देश की रक्षा करनी चाहिए !
बंगाल में सलाफी मौलवियों के अनेक मदरसे और मस्जिदें हैं । उन्हें अरब देशों से पैसे आते हैं और इससे वे धर्मपरिवर्तन के साथ-साथ आतंकवादी कार्यवाहियां करते हैं । जे.एम.बी.के आतंकवादियों को यहां आश्रय दिया जाता है ।