शहरी नक्सली वरवरा राव के स्वास्थ्य के संदर्भ में राज्य सरकार को मानवाधिकार आयोग का नोटिस
आधुनिकतावादियों के पुकारने पर तत्परता से दौडकर आनेवाला मानवाधिकार आयोग हिन्दुआें पर अत्याचार होते समय चुप क्यों रहता है ? ‘यह आयोग केवल अल्पसंख्यक और आधुनिकतावादियों के लिए ही काम करता है’, यदि हिन्दुआें को ऐसा लगता हो, तो उसमें अनुचित क्या है ?
मुंबई – कोरेगांव भीमा दंगा प्रकरण और माओवादियों से संबंध होने के आरोप में गिरफ्तार तेलुगु कवि तथा शहरी नक्सली वरवरा राव के कोरोना संक्रमित होने के आधार पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने १७ जुलाई को राज्य शासन को नोटिस देकर राव के स्वास्थ्य के संबंध में २ सप्ताह में ब्यौरा देने का निर्देश दिया है ।
आयोग ने कहा है कि पिछले १ महीने से शारीरिकरूप से अस्वस्थ होते हुए भी राव की ओर गंभीरता से नहीं देखा गया है, ऐसा दिखाई देता है । विधिजन्य अभियोग का भले कोई भी प्रकरण हो; परंतु अमूल्य मानव जीवन की रक्षा करना शासन का कर्तव्य है । अतः राव को अच्छे सरकारी अथवा निजी चिकित्सालय में भर्ती किया जाए और सरकार उसका खर्च उठाए ।’