‘सभी धर्म समान’ बोलने के कारण पाकिस्तान के पूर्व मंत्री के विरुद्ध शिकायत प्रविष्ट !
-
‘सभी धर्म समान’ शब्दप्रयोग के कारण मुसलमानों की भावनाएं आहत होने का लगाया आरोप
-
कुरआन के अनुसार इस्लाम धर्म ही सबसे महान होने के कारण ‘सभी धर्म समान’ बोलना इस्लामविरोधी होने का शिकायतकर्ता का मत !
- ‘सभी धर्म समान नहीं है’, पाकिस्तान के किसी मुसलमान नेता का ऐसा कहना कोई आश्चर्य की बात नहीं है । भारतीय राजनीति में मोहनदास गांधी का उदय होने से लेकर अर्थात विगत १०० वर्ष से हिन्दुआें को सर्वधर्मसमभाव की घुट्टी पिलाते रहने से देश में केवल हिन्दू ही ‘सर्वधर्मसमभाव’ बोलते हैं; परंतु अन्य पंथ के लोग ऐसा कभी नहीं बोलते और उसके अनुसार आचरण भी नहीं करते, यही वास्तविकता है ।
- पाकिस्तान में की गई इस शिकायत के संदर्भ में भारत का एक भी आधुनिकतावादी और धर्मनिरपेक्षतावादी अपना मुंह नहीं खोलेगा; क्योंकि उनके मत में भी ‘सभी धर्म समान’, का वचन तो केवल हिन्दुआें के लिए ही है !
इस्लामाबाद – ‘सर्वधर्मसमभाव’ शब्द का उच्चारण करने के प्रकरण में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के राजनीतिक दल ‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ के नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री ख्वाजा आसिफ के विरुद्ध प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ताधारी दल ‘तहरिक ए-इन्साफ’ के नेता अधिवक्ता कमर रियाज ने पुलिस विभाग में हाल ही में शिकायत प्रविष्ट की ।
‘सभी धर्म समान’, बोलना इस्लामविरोधी ! – अधिवक्ता कमर रियाज
ख्वाजा आसिफ ने संसद में भाषण देते हुए कहा था, ‘इस्लाम सहित सभी धर्म समान हैं, अतः कोई भी धर्म छोटा अथवा बडा नहीं होता’ ! आसिफ का यह वक्तव्य अधिवक्ता रियाज ने दूरचित्रवाणी पर सुना और उन्होंने आसिफ के विरुद्ध सीधे पुलिस विभाग में शिकायत प्रविष्ट की । अधिवक्ता रियाज ने कहा, ‘‘आसिफ के उक्त वक्तव्य के कारण मुसलमानों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं । कुरआन के अनुसार केवल इस्लाम धर्म ही सबसे महान है; इसलिए ‘सभी धर्म समान’, बोलना इस्लामविरोधी है तथा यह शरिया विधि के अनुसार भी अनुचित है ।’
कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान की परंपरा ही नष्ट की ! – ख्वाजा आसिफ
स्वयं के विरुद्ध प्रविष्ट की गई शिकायत के संदर्भ में प्रतिक्रिया देते हुए ख्वाजा आसिफ ने कहा, ‘‘मेरे विरुद्ध शिकायत प्रविष्ट करनेवाले वही लोग हैं, जो इस्लामाबाद में हिन्दुआें के मंदिर निर्माण का विरोध कर रहे हैं । ये वही लोग हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिना को ‘काफिरे आजम’ कहा था । ये लोग उन्हीं का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिन पर जिना सर्वाधिक विश्वास करते थे । अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना इस्लाम की परंपरा है । (ख्वाजा आसिफ का बडा व्यंग्य ! क्या पाकिस्तान में प्रतिदिन हिन्दुआें पर हो रहे अत्याचार आसिफ को नहीं दिखाई देते ? – संपादक) इस्लामी सत्ता में अल्पसंख्यकों को कभी भी असुरक्षित प्रतीत नहीं हुआ । (जिहादी आतंकवाद के कारण पाकिस्तान के हिन्दू नामशेष होने की कगार पर हैं । इससे अधिक असुरक्षा और क्या हो सकती है ? – संपादक) वर्ष १९८० के समय के कट्टरपंथियों ने पाकिस्तान की इस परंपरा को ही नष्ट कर दिया है । समाज में सहिष्णुता और भाईचारा बढाना नेताआें का दायित्व है ।’’
‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ की ओर से आसिफ का समर्थन
‘पाकिस्तान मुस्लिम लीग’ के अध्यक्ष शहबाज शरीफ ने ट्वीट कर आसिफ का समर्थन किया है । उन्होंने कहा, ‘‘इस्लाम एक महान धर्म है । इस्लामी राष्ट्र में रहनेवाले सभी समुदायों के अधिकार एवं स्वतंत्रता स्पष्ट हैं । पाकिस्तान के संविधान में समानता का मौलिक तत्त्व अंतर्भूत है । ख्वाजा आसिफ ने संसद में जो वक्तव्य दिया, वह इस्लामी सीख और संवैधानिक प्रावधानों के संदर्भ में था ।’’