रामजन्मभूमि पर बौद्ध मंदिर होने का दावा करते हुए बौद्ध भिक्षुआें का प्राणांतिक अनशन
सर्वोच्च न्यायालय ने इसके पूर्व सभी दावों को अस्वीकार करते हुए ‘रामजन्मभूमि भगवान श्रीरामजी की ही थी’, यह निर्णय होने पर भी अब केवल सस्ती लोकप्रियता के लालच में ही इस प्रकार का आंदोलन किया जा रहा है, यह स्पष्ट है !
अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – भारत के बौद्ध भिक्षुआें ने यह दावा किया है कि अयोध्या के राममंदिर का स्थान तथा संपूर्ण परिसर बुद्ध मंदिर का है तथा ‘राममंदिर के स्थान पर प्राचीन बुद्ध मंदिर था । रामजन्मभूमि क्षेत्र प्राचीन बौद्ध स्थल है, जिसे प्रसिद्ध साकेत नगरी के नाम से जाना जाता था । अतः राममंदिर निर्माण का कार्य तत्काल रोककर यह स्थान बुद्ध मंदिर के लिए वापस किया जाए, इस मांग को लेकर बौद्ध भिक्षुआें ने १४ जुलाई से प्राणांतिक अनशन भी आरंभ कर दिया है । रामजन्मभूमि अभियोग के समय बौद्धों ने भी इस संदर्भ में याचिका प्रविष्ट की थी ।
रामजन्मभूमि का समतलीकरण करते समय बौद्ध मंदिर के अवशेष मिलने का दावा
रामजन्मभूमि पर राममंदिर निर्माण का कार्य आरंभ होने के पश्चात वहां समतलीकरण किया जा रहा था, उस समय भूमि में प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलने का समाचार प्रकाशित हुआ था; परंतु ‘यह सभी अवशेष राममंदिर के नहीं, अपितु बुद्ध मंदिर के हैं’; ‘भूमि में मिले विशिष्ट प्रकार के स्तंभ, उन पर अंकित आकृतियां और चक्र ये सब बौद्ध धर्मीय मंदिर में ही मिलते हैं ।’, इन भिक्षुआें का यह दावा है, साथ ही उन्होंने यह मांग भी की है कि खुदाई हेतु रामजन्मभूमि क्षेत्र का स्थान ‘युनेस्को’ के नियंत्रण में दिया जाना चाहिए ।