‘कोरोना’ विषाणु के फैलाव से उत्पन्न आपातकालीन स्थिति में ‘नागपंचमी’ की पूजा कैसे करें ?
‘नागों से हमारे परिजनों की सदैव रक्षा हो तथा नागदेवता की कृपा हो’, इस हेतु प्रति वर्ष श्रावण शुक्ल पंचमी अर्थात नागपंचमी को नागदेवता की पूजा की जाती है । इस वर्ष नागपंचमी २५.७.२०२० को है । इस दिन कुछ स्थानों पर मिट्टी से बनी नाग की मूर्तियां लाकर उनकी पूजा की जाती है, तो कुछ स्थानों पर बांबी (बमीठा) की पूजा की जाती है ।
१. नागदेवता का पूजन
१ अ. नागदेवता का चित्र बनाना : हलदी मिश्रित चंदन से दीवार अथवा पूजा की चौकी पर नाग का चित्र (अथवा नौ नागों का चित्र) बनाकर, ‘सपत्नीकनागदेवताभ्यो नमः’ मंत्र से उनकी पूजा करें ।
१ आ. षोडशोपचार पूजन : जिनके लिए नागदेवता की ‘षोडशोपचार पूजा’ करना संभव है, वे षोडशोपचार पूजा करें ।
१ इ. पंचोपचार पूजन : जो नागदेवता की ‘षोडशोपचार पूजा’ नहीं कर सकते, वे ‘पंचोपचार पूजा’ करें और दूध, चीनी, खीलें (लाई), कुल की परंपरा के अनुसार खीर इत्यादि का नैवेद्य (भोग) चढाएं । (पंचोपचार पूजा : गंध (चंदन), हलदी-रोली, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य, इस क्रम से पूजा करना ।)
२. पूजन के उपरांत नागदेवता से प्रार्थना करें !
‘हे नागदेवता, श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को मैंने जो यह नागपूजन किया है, इस पूजन से आप प्रसन्न होकर मुझे सदैव सुख प्रदान करें । हे नागदेवता, इस पूजन में जाने-अनजाने कुछ भूल-चूक हुई हो, तो आप मुझे क्षमा करें । आपकी कृपा से मेरे सभी मनोरथ पूर्ण हों । मेरे कुल में कभी किसी को नागविष से भय उत्पन्न न हो’, ऐसी आपके चरणों में प्रार्थना है ।’
‘नागपंचमी की पूजा कैसे करें ?’ इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी चाहिए, तो सनातन संस्था के जालस्थल पर दी लिंक अवश्य देखें ।
https://www.sanatan.org/hindi/a/3261.html एवं https://www.sanatan.org/hindi/a/23600.html |