उत्तर-पूर्वोत्तर भारत ३ दिवसीय ‘ऑनलाइन’ अधिवक्ता अधिवेशन का उत्साहपूर्ण वातावरण में आयोजन
वैचारिक आतंकवाद से संघर्ष करने हेतु अधिवक्ताआें
को संगठित होकर अपने दायित्व का निर्वहन करना होगा !
– अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
मुंबई (महाराष्ट्र) – ‘हमें दायित्व लेकर हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में अपनी भूमिका निभानी है । आज की पीढी इंटरनेट पर ‘अल्ट बालाजी’, ‘५ के’ आदि वेबसीरिज के माध्यम से हिंसा और अश्लीलता देख रही है । इसके लिए किसी प्रकार का परिनिरीक्षण विभाग नहीं है । इसके कारण यह सब पैसा देश के बाहर जा रहा है । इस पर न तो किसी प्रकार का ‘वस्तु सेवा कर’ है और न ही उन पर कोई रोक है । अतः इसे रोकने हेतु संगठित होकर प्रयास करने होंगे । इसके साथ ही लेखन के द्वारा तथा अन्यत्र भी प्रत्येक स्तर पर संघर्ष करना होगा, साथ में वैचारिक आतंकवाद के साथ संघर्ष करने हेतु दायित्व का भी निर्वहन करना पडेगा । इसके साथ ही अधिवक्ताआें को आगे आकर हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ताआें को यह भी सिखाना होगा कि उन्हें अपनी मांग कैसे रखनी चाहिए ।’ हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने ऐसा प्रतिपादित किया ।
हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से हाल ही में उत्तर-पूर्वोत्तर भारत के अधिवक्ताआें के लिए ३ दिवसीय ‘ऑनलाइन’ अधिवक्ता अधिवेशन का आयोजन किया गया था । इस अधिवेशन का सूत्रसंचालन हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वोत्तर भारत समन्वयक श्री. शंभू गवारे ने किया । इस अधिवेशन में ३० अधिवक्ता सहभागी हुए । सहभागी अधिवक्ताआें ने हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु सहभागी होने की उत्स्फूर्त तैयारी दिखाई, इस अधिवेशन का समापन हिन्दू राष्ट्र हेतु एकजुट होने के संकल्प के साथ भावपूर्ण वातावरण में हुआ ।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से अनेक अधिवक्ता निःस्वार्थ भाव से कार्य कर रहे हैं ! – अधिवक्ता नीलेश सांगोलकर, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
जिस प्रकार लोकमान्य टिळक, वीर सावरकर, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे अनेक अधिवक्ताआें ने स्वतंत्रता संग्राम की लडाई लडी, उसी प्रकार आज भी हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से अनेक अधिवक्ता निःस्वार्थ भाव से दायित्व लेकर कार्य कर रहे हैं । इसके अंतर्गत हमें हिन्दुत्वनिष्ठों के अधिवक्ता बनकर अभियोग चलाना, साथ ही पत्रकार, नेता आदि विविध स्तरों पर कार्य करने होंगे ।
अधिवक्ताआें के अनुभव कथन
१. सूचना अधिकार के माध्यम से भ्रष्टाचार उजागर किया !
– अधिवक्ता समीर पटवर्धन, हिन्दू विधिज्ञ परिषद
राष्ट्रीय त्योहार १५ अगस्त एवं २६ जनवरी के कार्यक्रम में कोल्हापुर महापालिका के कर्मचारियों ने सरकारी पैसों का दुरुपयोग कर मिठाई खरीदी । इस संबंध में सूचना अधिकार के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर हमने यह प्रकरण उजागर किया ।
२. मानहानि का अभियोग प्रविष्ट करने से ‘जय महाराष्ट्र’ समाचार वाहिनी द्वारा चलाया जा रहा सनातन का दुष्प्रचार बंद हुआ ! – अधिवक्ता अस्मिता सोहनी, रत्नागिरी, महाराष्ट्र
एक समाचार वाहिनी ने सनातन संस्था के संदर्भ में दुष्प्रचार कर मानहानि की । इसके विरुद्ध राजापुर (जनपद रत्नागिरी, महाराष्ट्र) में हमने अभियोग प्रविष्ट किया । अंततः डेढ वर्ष पश्चात उन्होंने लिखित रूप से ‘पत्रकार की चूक के कारण इस प्रकार का समाचार दिखाया गया’, यह स्पष्टीकरण देकर उसके आगे कभी भी सनातन संस्था का दुष्प्रचार नहीं किया ।
३. असम में हिन्दुआें का उत्पीडन होता है !
– अधिवक्ता सम्राट दत्त, सिलचर, असम
असम के शरणार्थी शिविर में फंसे ८० प्रतिशत बंगाली हिन्दुआें को न्यायालयीन प्रयासों से बाहर निकाला गया । असम में ‘लव जिहाद’ के माध्यम से महिलाआें को मारकर फेंक दिया जाता है । वहां की सरकार हिदुत्वनिष्ठ है; परंतु ‘आइसा’, ‘उल्फा’ इत्यादि संगठनों के दबाव के कारण वहां के हिन्दुआें का उत्पीडन किया जाता है । ‘एनआरसी’ के (राष्ट्रीय नागरिकता पंजीकरण) अंतर्गत मुसलमान बहुसंख्यक क्षेत्र के केवल २ – ३ लोगों को नोटिस दिया जाता है; परंतु हिन्दू बहुसंख्यक क्षेत्र के १०० से भी अधिक लोगों को नोटिस दिया जाता है । प्रशासन इस प्रकार भेदभाव कर रहा है । हमने हिन्दूहित का कार्य करनेवाले प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए दबाव डालनेवाले लोगों का विरोध किया और न्यायालयीन प्रक्रिया के माध्यम से इन अधिकारियों का स्थानांतरण रुक पाया ।
४. ओडिशा में हिन्दू असुरक्षित !
– अधिवक्ता बिभूति भूषण पलेई, राउरकेला, ओडिशा
सुंदरगढ जनपद के अंतर्गत नाला रोड में वर्ष २०१६ में मुसलमानों ने जगन्नाथ यात्रा के ३ रथों को रोककर उनमें आग लगा दी । पुलिस प्रशासन में इसकी शिकायत करने पर पुलिस प्रशासन ने उल्टे ५६ हिन्दू युवकों के विरुद्ध १५ प्राथमिकियां प्रविष्ट कीं, तब स्वयं प्रयास कर अनेक लोगों को छुडाया गया । ७ जून २०२० को आंतरिक विवाद के चलते एक जिहादी आतंकी की मृत्यु हुई । उसकी अंत्येष्टि में १ सहस्र से भी अधिक धर्मांध सहभागी हुए । कोरोना महामारी के काल में इतनी बडी संख्या में लोगों को एकत्रित देखकर बजरंग दल के स्थानीय अध्यक्ष ने विरोध किया, तब उनके विरुद्ध ही कार्यवाही कर उन्हें गिरफ्तार किया गया ।
५. मंदिर गिराने का विरोध करनेवाले हिन्दुआें के विरुद्ध ‘राष्ट्रीय सुरक्षा विधि’ के अंतर्गत कार्यवाही ! – अधिवक्ता सुनील मिश्रा, पाटलीपुत्र, बिहार
पाटलीपुत्र में ५८ मंदिर तोडे गए; परंतु एक भी मस्जिद को नहीं गिराया गया । यहां हनुमानजी का मंदिर गिराया गया और उसका विरोध करनेवाले १२ हिन्दू युवकों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा विधि एवं धारा ३०२ लगाई गई । हमने इस घटना में सहभागी ८ लोगों को प्रतिभूति दिलाई । हिन्दू विधिज्ञ परिषद की ओर से अधिवक्ताआें के संगठन हेतु किए जा रहे प्रयास प्रशंसनीय हैं । हम सभी मिलकर निश्चित रूप से कार्य करेंगे ।
६. ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ रोकने हेतु कार्य करना आवश्यक !
– अधिवक्ता अनय कुमार श्रीवास्तव, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
लव जिहाद एवं लैंड जिहाद रोकने हेतु हमें कार्य करना पडेगा । धर्मांध पहले कब्र बनाते हैं, उसके पश्चात वहां कुछ लोगों का आना-जाना आरंभ होता है और कालांतर से कब्र के आसपास घेरा बनाकर उस भूमि को अपने नियंत्रण में कर लिया जाता है । यह सब रोकने हेतु हमें कार्य करना आवश्यक है ।
७. उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्यों में ‘पुलिस परिवाद
प्राधिकरण’ हेतु न्यायालयीन संघर्ष करना चाहिए !
– अधिवक्ता अवधेश राय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
यातायात बंदी के समय में हमने अरुंधती राय के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट की, साथ ही इ-मेल के द्वारा पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखा । पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जब तक वरिष्ठ अधिकारी अनुमति नहीं देंगे, तब तक हम प्राथमिकी (एफआईआर) प्रविष्ट नहीं कर सकते । जिस प्रकार हिन्दू विधिज्ञ परिषद के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य में ‘पुलिस परिवाद प्राधिकरण’ लागू किया गया, उसी प्रकार उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्यों में भी उसे लागू करने हेतु न्यायालयीन संघर्ष करना चाहिए ।