यातायात बंदी की अवधि में आंध्र प्रदेश में महिलाओं पर हो रहे हिंसाचार बढे
समाज को साधना न सिखाने का यह परिणाम है । साधना करनेवाला समाज होता, तो यह स्थिति नहीं आई होती !
विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) – कोरोना के कारण लगाई गई यातायात बंदी के कारण आंध्र प्रदेश राज्य के दूरदराज के गांवों में महिलाओं पर होनेवाली घरेलू हिंसा, शोषण आदि घटनाएं दोगुनी हो गई हैं, ऐसी जानकारी मिली है । यातायात बंदी से पूर्व सप्ताह में अनुमानित १० शिकायतें प्रविष्ट की जा रही थीं । यातायात बंदी में अब एक सप्ताह में महिलाओं पर हिंसाचार की २० घटनाएं सामने आने लगी हैं ।
महिला आयोग में प्रतिमास ३०० शिकायतें
आंध्र प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्षा वासी रेड्डी ने कहा, ‘‘यातायात बंदी में हमारे पास प्रतिमास लगभग ३०० शिकायतें आई हैं । यह संख्या अधिक है; क्योंकि अधिकांश महिलाएं शिकायत करने के लिए पुलिस थाने अथवा आयोग में नहीं जातीं । आंध्रप्रदेश में सर्वाधिक प्रकरण मद्यपान कर महिलाओं को पीटने के हैं ।’’
मद्यपान करने के पश्चात महिलाओं को पीटने के कारण मद्य बिक्री की दुकानें तत्काल बंद कर दी गई ! – आंध प्रदेश की गृहमंत्री मेकाथोटी सुचारिता
मद्यपान करने के पश्चात अपराध होते हैं, यह स्पष्ट होते हुए भी संपूर्ण देश में ही मद्य बंदी क्यों नहीं की जाती ? केवल राजस्व के लिए मद्य बिक्री चालू रखना, यह प्रशासन के लिए लज्जाजनक है !
आंध्र प्रदेश की गृहमंत्री मेकाथोटी सुचारिता ने कहा, ‘‘ऐसी शिकायतें बढने के पश्चात राज्य सरकार ने जांच कराई । इसमें अनेक धक्कादायक बातें सामने आई हैं । पुरुष मद्यपान कर घर पहुंचने पर महिलाओं की पिटाई करते हैं तथा उन्हें प्रताडित करते हैं । इसलिए मद्य की दुकानें तत्काल बंद कर दी गईं । मद्य का मूल्य भी बढाया गया । ५ वर्षों में मद्य बिक्री पूर्णतः बंद कर दी जाएगी । मद्य से मिलनेवाले राजस्व के विकल्प पर भी चर्चा की जा रही है ।’’