उत्तर भारत में ‘ऑनलाइन’ उद्योगपति सम्मेलन संपन्न
धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र स्थापना हेतु हिन्दू जनजागृति समिति
राष्ट्र और धर्म हित के लिए उद्योगपति एकत्रित हों ! – सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी
देहली – ”वर्तमान में राष्ट्र के सामने आई हुई आपदा की स्थिति हो या फिर ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ जैसे षड्यंत्र के कारण हिन्दुओं के आर्थिक हित पर आई हुई बाधा हो, इन परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्र एवं धर्म हित का विचार करनेवाले उद्योगपतियों का संगठन, यह काल की आवश्यकता है । उद्योगपति परिषद के द्वारा इस दृष्टि से प्रयास प्रारंभ है । इसमें आप सभी अपना योगदान दें”, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया । वे ऑनलाइन उद्योगपति सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे । १४ जून को ऑनलाइन संपन्न हुए इस सम्मेलन के लिए देहली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, फरीदाबाद एवं महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों से लगभग ४० उद्योगपतियों ने इस सम्मेलन का लाभ लिया ।
कठिन परिस्थिति से लडने के लिए साधना बढाएं ! – पू. नीलेश सिंगबाळजी
”कठिन परिस्थिति में आत्मबल बनाए रखने के लिए साधना बढाएं”, ऐसा प्रतिपादन पूज्य नीलेश सिंगबाळजी ने किया । वे ‘आगामी आपातकाल से रक्षा हेतु साधना की आवश्यकता’ इस विषय पर उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे । ”स्तोत्रपठन, नामजप, अग्निहोत्र आदि कुछ उपायों से हम स्वयं की रक्षा कर सकते हैं”, ऐसे उन्होंने इस समय बताया ।
काल के पदचिन्ह पहचानकर उद्योगपति अपनी योजना करें ! – श्री. चेतन राजहंस
”आनेवाला काल भीषण है । इसलिए कोई भी निर्णय लेते समय इसका अनुभूति होना आवश्यक है । उद्योगपति राष्ट्र का आधारस्तंभ हैं । यदि वे काल के अनुसार अपनी योजनाएं बनाएं, तो निश्चित ही कठिन परिस्थितियों से वे स्वयं एवं राष्ट्र आगे बढ सकता है । वर्तमान में तनाव उत्पन्न होना स्वाभाविक है; परंतु स्वसूचना आदि उपायों के द्वारा हम उस पर निश्चित नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं”, ऐसा प्रतिपादन सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने किया । वे इस सम्मेलन में ‘आगामी आपातकाल और उसका समाधान’ विषय में सभी का मार्गदर्शन कर रहे थे ।
हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने बताया कि ”वर्तमान में सद्भावना के कारण अनेक लोग दान करते हैं; परंतु धर्मशास्त्र न समझने के कारण वे इस कृति का अधिक लाभ नहीं ले पाते हैं । श्रीमद्भगवतगीता में बताए अनुसार हमें सुपात्र व्यक्ति को दान करना यह आवश्यक है । वर्तमान काल को देखते हुए धर्मसंस्थापना हेतु प्रयासरत संत और संस्था की दान के द्वारा सहायता करना, यह हमारी उपासना ही है ।”
क्षणिका
इस समय आगामी ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव के विषय में भी सभी को अवगत कराया गया ।