(कहते हैं) ‘प्रधानमंत्री को शब्दों का उपयोग करते समय उससे चीन को लाभ न मिले; इसकी ओर ध्यान देना चाहिए !’ – पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह
- स्वयं के प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल में ‘मौनी’ प्रधानमंत्री के रूप में ‘प्रसिद्द’ और शत्रुराष्ट्रों को शब्दों में भी ना समझानेवाले डॉ. मनमोहन सिंह का मुफ्त का सुझाव !
- कांग्रेस के कारण ही चीन ने भारत की सहस्रो किलोमीटर की भूमि हडपने का दुःसाहस किया । नेहरू की विदेशनीति के कारण चीन अधिकाधिक उद्दंड बना । इसलिए ऐसे कांग्रेसियों को भाजपा सरकार से प्रश्न करने का क्या अधिकार ?
नई देहली – कांग्रेस के नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘देश की सुरक्षा के संबंध में बोलते हुए प्रधानमंत्री को सदैव ही सावधानी बरतनी चाहिए; क्योंकि उसका परिणाम हमारी रणनीति एवं क्षेत्रीय हितोंपर भी होता है । चीन को अपना पक्ष रखने के लिए लाभ मिले, इस प्रकार के शब्दों का उपयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ना करें ।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में वक्तव्य देते हुए कहा था कि ‘पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा में किसी ने घुसपैठ नहीं की है और किसी भी सैन्य शिविरपर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं किया है ।’ उसपर डॉ. सिंह ने उक्त मत व्यक्त किया है ।
१. डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि नियंत्रण रेखापर उत्पन्न समस्या का समाधान निकालने हेतु केंद्र सरकार को सभी विकल्प अपनाने चाहिए, साथ ही वहां की परिस्थिति अधिक जटिल न हो; इसके लिए भी प्रयास करना आवश्यक है । देश के लिए बलिदान देनेवाले भारतीय सैनिकों के साथ न्याय होना चाहिए । यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए । सरकार द्वारा लिए जानेवाले निर्णय तथा उनके क्रियान्वयन के आधारपर ही भावी पीढी हमें पहचाननेवाली है । (यदि ऐसा है, तो भावी पीढी डॉ. सिंह को सबसे निष्क्रिय प्रधानमंत्रीके रूप में पहचानेगी, यह भी उतना ही सत्य है ! – संपादक) जो नेतृत्व कर रहे हैं उनके कंधोंपर कर्तव्य का निर्वहन करने का बडा दायित्व है और हमारे लोकतंत्र में यह दायित्व प्रधानमंत्री का होता है ।
२. डॉ. मनमोहन सिंह ने चीन को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘भारत उसकी धमकियों से डरनेवाला नहीं है । हम अपनी क्षेत्रीय अखण्डता से किसी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे ।’