कोरोना संकट के कारण कारागार में बंद शहरी नक्सलियों को छोडने की देश के ३७५ तथाकथित आधुनिकतावादियों की मांग
मांग करनेवालों में जावेद अख्तर, अमोल पालेकर, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी आदि अंतर्भूत
मालेगांव प्रकरण में निर्दोष हिन्दुत्वनिष्ठों को ९ वर्षतक कारागार में बंद कर जब उनका उत्पीडन किया था, तब इन आधुनिकतावादियों ने उन्हें छोडने की मांग क्यों नहीं की ?
नई देहली – जावेद अख्तर, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, अमोल पालेकर आदि ३७५ आधुनिकतावादियों ने हाल ही में केंद्र सरकार से देशभर में फैले कोरोना संकट के कारण शहरी नक्सली के आरोप में गिरफ्तार वरवार राव, सुधा भारद्वाज, आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, वर्नोन गोंसाल्वेज, सुरेंद्र गडलिंग आदि को छोडने की मांग की है ।
इन आधुनिकतावादियों द्वारा प्रकाशित विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘इनमें से अनेक लोग समाज के मान्यवर लोग हैं तथा उन्होंने समाज के कल्याण हेतु कार्य किया है । उन्हें अभी अपराधी प्रमाणित नहीं किया है अथवा वे देश से भाग जाने का षड्यंत्र भी नहीं बना रहे हैं । महाराष्ट्र के कारागार में कुछ कैदियों की कोरोना के कारण मृत्यु हुई है; परंतु जो कोरोना पीडित हैं, उन्हें प्रतिभूति नहीं दी जाती । अतः मानवीय आधारपर इन मान्यवरों को प्रतिभूति दी जाए ।’