गुजरात में आयुर्वेदिक उपचारों के पश्‍चात डेढ सहस्र से अधिक रोगी कोरोनामुक्त !

गुजरात में यह करना संभव है, तो देश के अन्य राज्यों में वह क्यों नहीं किया जाता ?


सूरत (गुजरात) – विश्‍व में अभी तक कहीं भी कोरोना का टीका उपलब्ध नहीं है । इसलिए रोगियों पर  परिणामकारक उपचार करने की मर्यादायें सीमित हैं । भारत में गुजरात राज्य सरकार द्वारा कोरोना पीडित रोगियों पर आयुर्वेदानुसार उपचार किए जा रहे हैं । गुजरात सरकार को १५ मई से ऐसे रोगियों पर कुछ मात्रा में आयुर्वेदिक उपचार करने की अनुमति दी गई, तदुपरांत प्राप्त आंकडों के अनुसार उसका अच्छा परिणाम दिखाई दे रहा है । अभी तक जिनमें कोरोना के लक्षण कुछ मात्रा में दिखाई दे रहे थे, ऐसों पर आयुर्वेदिक उपचार करने के पश्‍चात उनमें से ५८६ रोगी ठीक हो चुके हैं तथा १ सहस्र ७६ रोगी भी ठीक होने के मार्ग पर हैं । इन सभी को घर भेजा जानेवाला है ।

१. ‘भारतीय चिकित्सा शोध संस्था’ की मार्गदर्शक सूचनाओं के अनुसार ही कोरोना पीडितों पर उपचार कर सकते हैं; परंतु गुजरात के स्वास्थ्य सचिव जयंती रवी ने मांग करनेवाले संबंधित चिकित्सालयों को ‘आयुर्वेद’ और ‘होमियोपैथी’ द्वारा उपचार करने की अनुमति दी थी । उसके लिए चिकित्सालय को बताया गया था कि रोगी की लिखित अनुमति ली जाए । तत्पश्‍चात रोगियों से लिखित अनुमति लेकर उन पर ‘आयुर्वेद’ और ‘होमियोपैथी’ द्वारा उपचार किए जा रहे हैं ।

२. गुजरात के ‘आयुष’ विभाग की संचालिका वैद्या भावना पटेल ने कहा कि, ‘वर्तमान में गुजरात राज्य के ८ चिकित्सालयों में कोरोना पीडितों पर आयुर्वेदिक उपचार चल रहे हैं । हमारा प्रयत्न है कि, जहां १०० से अधिक रोगी होते हैं, वहां आयुर्वेदिक उपचार प्रारंभ किए जाएं । हम रोगी की इच्छा के अनुसार उस पर ‘एलोपैथी’, ‘आयुर्वेद’ और ‘होमियोपैथी’ उपचार करते हैं ।’

३. वैद्या पीनल राणा ने बताया कि, ‘कोरोना पर १०० प्रतिशत आयुर्वेदिक उपचार किए जा सकते हैं । कोरोना के गंभीर बीमार रोगियों पर भी उपचार करना संभव है । ‘एलोपैथी’ में रोगी को एक ही प्रकार की औषधि दी जाती है; परंतु आयुर्वेद में रोगी पर उसकी प्रकृति के अनुसार उपचार किए जाते हैं ।’

४. आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्तमान में ‘संशमनी वटी, सीतोपलादि चूर्ण, लवंगादि वटी, सुदर्शन घनवटी, षड्बिंदु तेल और तुलसी का चूर्ण आदि का मिश्रण कोरोना रोगी को औषधि के रूप में दिया जाता है । गरम पानी भी रोगी पर ५० प्रतिशत परिणाम करता है ।’ (३.६.२०२०)