Delhi High Court Slams GOOGLE : दिल्ली उच्च न्यायालय ने गूगल को फटकारते हुए नोटिस जारी किया !
|
नई दिल्ली – सनातन संस्था और उससे संबंधित मोबाइल एप पर अचानक लगाए गए प्रतिबंध के प्रकरण में १० जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई । इस समय के उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीधर पोताराजू ने न्यायमूर्ति सचिन दत्ता को ध्यान में लाकर दिया कि गूगल ने बिना कोई पूर्व सूचना दिए याचिकाकर्ता के ५ ऐप्स को निलंबित कर दिया था । इस पर न्यायाधीश दत्ता ने गूगल को फटकार लगाते हुए कहा, “ऐप्स कब सस्पेंड किए गए ?” क्या ऐप्स को निलंबित करने से पहले याचिकाकर्ता को कोई पूर्व सूचना दी गई थी ?’ न्यायाधीश ने विशेष रूप से महत्वपूर्ण घटनाओं के तथ्यों और दिनांक के बारे में पूछा; लेकिन यह देखा गया कि गूगल के वकील उचित उत्तर देने से बच रहे थे । इस पर, न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘मैं आपसे तीसरी बार यही प्रश्न पूछ रहा हूं; लेकिन आप मेरे प्रश्न का उत्तर देना टाल रहे हैं ।’ इस समय न्यायाधीश ने गूगल से पूछा, ‘ऐप सस्पेंशन के बारे में गूगल की नीतियां दिखाएं ।’ इसके अतिरिक्त, ऐप्स में ऐसी विशिष्ट सामग्री दिखाएं जो गूगल की नीतियों का उल्लंघन करती है !’, यह निर्देश दिया गया । उन्होंने इस प्रकरण में गूगल के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है । इस प्रकरण की अगली सुनवाई १८ मार्च को होगी ।
⚖️ Delhi High Court Slams Google! 🛑
The court reprimands Google over the unjust suspension of 5 apps by the @SanatanSanstha
The court demanded an explanation for the basis of the suspension.
Justice Datta slammed Google, calling their response “arbitrary” and lacking… pic.twitter.com/e4SxvZJB6s
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 10, 2025
१. सुनवाई के आरंभ में वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीधर पोताराजू ने दलील दी कि गूगल ने बिना कोई पूर्व सूचना दिए याचिकाकर्ता (सनातन संस्था) के ५ ऐप्स को निलंबित कर दिया, जो ‘आईटी नियम, २०२१’ का उल्लंघन है ।
२. गूगल के अधिवक्ता ने हस्तक्षेप किया । उन्होंने दावा किया कि सनातन संस्था ने मुंबई उच्च न्यायालय में इसी प्रकार की याचिका दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था । इसके उत्तर में, अधिवक्ता पोताराजू तथा अधिवक्ता अमिता सचदेवा ने स्पष्ट किया कि मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका फेसबुक के विरुद्ध थी, गूगल के विरुद्ध नहीं । इसे सरकार द्वारा ‘आईटी नियम, २०२१’ को अधिसूचित करने से पहले दर्ज किया गया था ।
३. इस पर न्यायमूर्ति दत्ता ने स्पष्ट किया कि मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका का दायरा वर्तमान याचिका से पूर्ण रूप से अलग तथा अप्रासंगिक है ।
वर्ष २०२३ में गूगल ने सनातन संस्था के ५ ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया !
वर्ष २०२३ में गूगल ने ५ ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया: ‘सनातन संस्था’, ‘सनातन चैतन्यवाणी’, ‘सरवाइवल गाइड’, ‘गणेश पूजा विधि’ एवं ‘श्राद्ध विधि’। साथ ही इस कार्रवाई के पीछे यह कारण बताया गया कि ‘सनातन संस्था नागरिकों के विरुद्ध हिंसा से जुड़ी हुई है ।’
४. इसके पश्चात अधिवक्ता पोतराजू ने सनातन संस्था के सभी ऐप्स के उद्देश्य तथा सामग्री के बारे में न्यायालय को जानकारी दी ।
५. इस समय गूगल के प्रवक्ता ने गूगल की नीति पढ़ी; लेकिन वे यह जानकारी देने में असफल रहे कि सनातन संस्था का ऐप ‘हिंसा’ अथवा ‘आतंकवाद’ को बढ़ावा देता है ।
६. अधिवक्ता पोताराजू ने आईटी अधिनियम २०२१ के नियम ४(८)(ए) और (बी) का उल्लेख करते हुए गूगल के आगे के दायित्व पर बल दिया, जिसमें ‘पूर्व सूचना देना’ और ‘याचिकाकर्ता को अपना प्रकरण प्रस्तुत करने का अवसर देना’ सम्मिलित होगा । न्यायमूर्ति दत्ता ने इसके लिए गूगल के वकील को फटकार लगाई । उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को दिया गया उनका उत्तर ‘मनमाना’ था तथा उसमें ‘विवरण का अभाव’ था ।
७. इस समय, केन्द्र सरकार ने यह रुख अपनाया कि याचिकाकर्ता को ‘शिकायत अपील समिति’ के समक्ष शिकायत दर्ज करानी चाहिए । न्यायाधीशों ने इस सुझाव पर प्रश्न किया । उन्होंने पूछा, ‘किसके आदेश के विरुद्ध मुझे अपील करनी चाहिए ?’ इस पर अधिवक्ता पोताराजू ने स्पष्ट किया कि शिकायत अधिकारी के आदेश के विरुद्ध होगी; लेकिन गूगल के पास आज तक कोई शिकायत अधिकारी नहीं है । अधिवक्ता पोताराजू ने न्यायालय को ध्यान में लाकर दिया कि याचिकाकर्ता ने गूगल को एक अपील पत्र भेजा था और मंत्रालय को एक विस्तृत निवेदन भी सौंपा था; लेकिन याचिकाकर्ता को किसी से कोई उत्तर नहीं मिला ।
८. इस समय, न्यायाधीश ने गूगल के वकील के प्रति असंतोष व्यक्त किया । उन्होंने कई बार कहा है, ‘गूगल सवालों से बच रहे हैं और कोई सीधे उत्तर नहीं दे रहा है !’
९. न्यायमूर्ति दत्ता ने गूगल तथा भारत सरकार को नोटिस जारी कर याचिका पर प्रतिज्ञापत्र दायर करने का निर्देश दिया ।