मैंने सर्वोच्च न्यायालय जितना अनुशासनहीन न्यायालय कभी नहीं देखा !
सुनवाई के दौरान वकीलों के शोर मचाने से नाराज न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की टिप्पणी
नई दिल्ली – मैंने मुंबई उच्च न्यायालय के साथ-साथ नागपुर और छत्रपति संभाजीगढ़ पीठों में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया है ; लेकिन मैंने कभी भी सर्वोच्च न्यायालय जितना अनुशासनहीन न्यायालय नहीं देखा । यहां एक तरफ ६ वकील और दूसरी तरफ ६ वकील एक दूसरे पर चिल्ला रहे हैं। मैंने उच्च न्यायालय में भी ऐसी बात होते हुए कभी नहीं सुना। इसलिए, सभी वकीलों को अदालत की गरिमा का सम्मान करना चाहिए, यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने सुनवाई के दौरान की । इस पर दोनों पक्षों के वकील चिल्लाने लगे। इसलिए, न्यायमूर्ति गवई ने उपरोक्त बयान दिया।
🚨 Shocking remark by Justice B.R. Gavai 🏛️ ⚖️
“I’ve never seen a court as undisciplined as the Supreme Court!” 🚫
He was frustrated with the unruly behavior of lawyers during a hearing. 📚
This incident highlights that education alone doesn’t guarantee culture or values. 📖… pic.twitter.com/kpnq3wTrz4
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 9, 2025
दिलचस्प बात यह है कि पिछले साल भी न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने भी ऐसी ही टिप्पणी की थी। “हममें से जो लोग उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय आते हैं, वे यहां अनुशासन की कमी महसूस करते हैं।” यहां कोई भी कभी भी बोल सकता है। उन्होंने कहा, “इसमें व्यवस्था का अभाव स्पष्ट है।”
संपादकीय भूमिकाइससे पता चलता है कि सिर्फ उच्च शिक्षित होना ही किसी को सुसंस्कृत और आदर्श नहीं बनाता ! इस कारण अब शिक्षा में साधना सिखाना भी महत्वपूर्ण हो गया है। जो व्यक्ति साधना को समझता है और उसे करता है वह सुसंस्कृत है और नियमों और विनियमों का पालन करता है ! |