प.पू. स्वामीजी के सम्मान समारोह में सनातन धर्म का गौरव !
दैनिक ‘सनातन प्रभात’ इस वर्ष अपना रजत जयंती महोत्सव मना रहा है । हिंदुओं में जागरूकता और उनका प्रबोधन करनेवाला इस प्रकार का दैनिक पिछले २५ वर्षों से निरंतर और निष्कलंक रूप से संचालित हो रहा है, जो इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना है । धर्मप्रेमी, जागृत हिंदू, राष्ट्रप्रेमी नागरिक और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों द्वारा ‘सनातन प्रभात’ पर रखा गया विश्वास, इस ८ लाख से अधिक पाठकों की संख्या और हिंदुओं का अधिकारिक मंच बनाने में सफल हुआ है । ‘सनातन प्रभात’ अब केवल एक पत्रिका नहीं रह गई है, बल्कि यह समस्त हिंदू समाज के लिए एक विश्वसनीय और प्रसिद्ध मीडिया के रूप में तेजी से आगे बढ रही है । प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी के अमृत महोत्सव और सनातन संस्था के रजत जयंती महोत्सव के संयुक्त कार्यक्रम में ‘सनातन प्रभात’ के विशेषांक का लोकार्पण मान्यवरों ने किया ।
क्षणिका : पूज्य स्वामीजी के हाथों ‘कुंभ पर्व की महिमा’, केंद्रीय राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक के हाथों ‘नामजप कौन सा करें ?’ इन मराठी ‘ई-बुक’ का और श्री मुंदड़ा के हाथों ‘कुंभ पर्व की महिमा’ इस हिन्दी ‘ई-बुक’ का लोकार्पण किया गया । |
प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरिजी के गौरवोद्गार ! सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए तप !
कुछ वर्ष पहले ‘सनातन’ या ‘हिंदू’ शब्द का उच्चारण करना कठिन था । ऐसी विपरीत परिस्थितियों में डॉ. आठवले जैसे एक सत्पुरुष, महात्मा निष्ठापूर्वक यहां (गोवा में) आकर खडे होते हैं और अपने तप का आरंभ करते हैं । यह सनातन धर्म का शंखनाद, केवल शंखनाद नहीं है, बल्कि हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए शंखनाद है । एक साधारण घर चलाना भी एक चुनौती होती है; परंतु विभिन्न साधकों को संभालना और उन्हें आकार देना, यह सरल काम नहीं है । यह चमत्कार रामनाथी, गोवा में स्थित सनातन आश्रम में हमें देखने के लिए मिलता है ।
‘सनातन प्रभात’ ने समय के प्रवाह के विपरीत समाज के उद्धार के लिए कमर कसकर कदम रखा !
लगभग २५ वर्ष पहले किसी ने मेरे हाथ में दैनिक ‘सनातन प्रभात’ का अंक रखा । ‘सनातन प्रभात’ नाम पढकर मेरे मन में पहला विचार आया कि अब इस प्रकार की विचारधारा और ‘सनातन प्रभात’ नाम कितने दिन टिकेगा ? मुझे यह टिके, ऐसी मेरी भावना थी, परंतु जब मैंने देखा कि कोई व्यक्ति समय के प्रवाह के विपरीत तैरते हुए समाज के उद्धार के लिए कमर कसकर खडा हुआ है, तो मेरा हृदय आनंद से भर गया ।