Arun Govil On Obscenity In OTT : ‘ओटीटी’ पर लज्जाजनक कथासार के प्रदर्शनसे भारतीय संस्कृति को अपरिमित हानी !
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(ओटीटी का अर्थ ‘ओवर द टॉप’ है। इस माध्यम से दर्शक चलचित्र में धारावाहिक और कार्यक्रम सर्वप्रथम देख सकते हैं।)
नई देहली – संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और दूरदर्शन पर भगवान श्री राम की भूमिका निभाने वाले प्रसिद्ध अभिनेता और नवनिर्वाचित सांसद अरुण गोविल ने पहली बार संसद को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आजकल ओटीटी कथासार ऐसा है कि आप अपने परिवार के साथ बैठकर दूरदर्शन नहीं देख सकते। ‘ओटीटी’ पर जो दिखाया जा रहा है वह अत्यंत लज्जाजनक है। इससे भारतीय संस्कृति को अपरिमित क्षति हो रही है।
आज संसद सत्र के दौरान मैंने माननीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी से, सोशल मीडिया, ओटीटी और विदेशी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लीलता, असामाजिक और हिंसक कंटेंट दिखाए जाने के कारण समाज में बढ़ते हुए अपराध के समाधान के लिए सरकार की ठोस रणनीति और कड़ा कानून बनाए जाने का आग्रह किया। जनता के… pic.twitter.com/rjW5IyIwTv
— Arun Govil (@arungovil12) November 27, 2024
गोविल ने आगे कहा, ‘मैं सूचना और प्रसारण मंत्रालय से पूछना चाहता हूं कि सामाजिक माध्यम पर लज्जास्पद और यौन सामग्री के अवैध प्रसारण को रोकने के लिए क्या तंत्र है?’ सरकार को इसके लिए अत्यंत कठोर कदम उठाने चाहिए। सभी कथासार प्रदाताओऺ को नियमों के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
🚨📺 Protecting Indian Culture: A Call to Action! 📺🚨
MP @arungovil12's statement in Parliament highlights a pressing concern: obscenity on #OTTplatforms is damaging Indian culture! 🤯
For 3-4 years, organizations and personalities have been urging the Government to regulate… pic.twitter.com/ldnBrXFnAW
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) November 27, 2024
ओटीटी के विरुद्ध और अधिक कठोरता से कार्य करने की आवश्यकता ! – सरकारकेंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गोविल के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है।
सामाजिक माध्यम और ओटीटी के वर्तमान काल में कई चीजें नियंत्रण से बाहर होती जा रही हैं। इनके विरुद्ध अधिक कठोरता से कार्रवाई करने की आवश्यकता है। |
संपादकीय भूमिकागत ३-४ वर्षों से अनेक लोग और संगठन ‘ओटीटी’ पर अंकुश लगाने के लिए आवाज उठा रहे हैं। तथापि सरकार की ओर से इस संबंध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों का मानना है कि सरकार को संस्कृति के संरक्षण के साथ-साथ समाज मन के सशक्तिकरण को भी प्राथमिकता देनी चाहिए! |