Shahi Masjid Violence : धर्मांध मुसलमानों की हिंसा में २ लोगों की मृत्यु, जबकि २० पुलिसकर्मी घायल !
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संभल (उत्तर प्रदेश) – दीवानी न्यायालय के आदेश पर यहां की शाही जामा मस्जिद का २४ नवंबर के सवेरे सर्वेक्षण किया जा रहा था, उस समय कुछ धर्मांध मुसलमानों ने हिंसा की । इसमें पथराव करनेसहित आगजनी भी की गई, जिसमें २ लोगों की मृत्यु हुई, जबकि २० पुलिसकर्मी घायल हुए । इस समय पुलिस ने स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त करने हेतु पहले आंसूगैस के गोले छोडे तथा उसके उपरांत लाठीचार्ज कर धर्मांध मुसलमानों को वहां से खदेड दिया । वर्तमान में यहां बडी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है ।
१. प्रातः ६ बजे हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सरकारी अधिवक्ता प्रिंस शर्मा, जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पानसिया, पुलिस अधीक्षक कृष्णा बिष्णोईसहित सर्वेक्षण दल मस्जिद में पहुंचा । उस समय बडी संख्या में पुलिसकर्मी तथा शीघ्र कृति बल वहां उपस्थित थे । इसकी जानकारी मिलते ही परिसर में रहनेवाले मुसलमानों ने इस सर्वेक्षण का विरोध करना आरंभ किया । इस समय उन्होंने ‘क्या रविवार को छुट्टी के दिन तथा वह भी प्रातःकाल में कभी सर्वेक्षण किया जाता है ?’, यह प्रश्न उठाया । उसके उपरांत घटनास्थल पर सहस्रों मुसलमान इकट्ठा हुए तथा उन्होंने सर्वेक्षण दल का विरोध करना आरंभ किया ।
२. मुसलमानों की भीड मस्जिद में घुसने का प्रयास कर रही थी, जिसे पुलिस ने रोककर रखा था । मस्जिद में सर्वेक्षण दल के द्वारा सर्वेक्षण आरंभ किया गया था । उसके उपरांत मुसलमानों ने पथराव करना आरंभ किया । अकस्मात हुए पथराव के कारण पुलिस बल को वहां से भागना पडा । उसके पश्चात पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर लाठीचार्ज करना आरंभ किया तथा आंसूगैस छोडी ।
३. दीवानी न्यायालय ने ५ दिन पूर्व मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश दिया था तथा न्यायालय ने ७ दिनों में सर्वेक्षण का ब्योरा प्रस्तुत करने के लिए कहा था । अब इस पर २९ नवंबर को सुनवाई होनेवाली है । यह मस्जिद पूर्व में हरिहर मंदिर था, ऐसा हिन्दुओं का कहना है । हिन्दू पक्ष ने कहा है कि बाबर के कार्यकाल में अर्थात वर्ष १५२९ में मंदिर का मस्जिद में रूपांतरण किया गया । इस आधार पर मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा रहा है । न्यायालय के आदेश के केवल २ घंटे उपरांत ही सर्वेक्षण दल ने छायाचित्रण तथा चित्रीकरण आरंभ कर मस्जिद का सर्वेक्षण किया था, उसके उपरांत अब पुनः शेष सर्वेक्षण किया जा रहा था ।
हिंसा करनेवालों को जीवनभर याद रहे, ऐसी कार्यवाही करेंगे ! – पुलिस अधीक्षक
संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार बिष्णोई ने कहा कि न्यायालय के आदेश के उपरांत जामा मस्जिद में सर्वेक्षण किया जा रहा था । मस्जिद के अंतर शांति से सर्वेक्षण चल रहा था; परंतु भीड में आए कुछ लोगों ने अकस्मात पथराव करना आरंभ किया । पुलिस द्वारा उन्हें समझाने का प्रयास करने पर उन्होंने पुलिस पर पथराव किया । पुलिस ने सौम्य बल का प्रयोग कर भीड को तितरबितर किया । किसी ने कानून को हाथ में लिया, तो कार्यवाही की जाएगी । इस भीड को किस ने उकसाया, उसे सीसीटीवी के माध्यम से देखा जाएगा तथा उसके उपरांत उन पर ऐसी कार्यवाही की जाएगी कि वे उन्हें जीवनभर याद रहेगी ।
सर्वेक्षण दल को पुलिस की सुरक्षा में बाहर निकाला !
सर्वेक्षण दल ने इस कथित मस्जिद में सवेरे लगभग ढाई घंटे में सर्वेक्षण पूरा किया । उसके उपरांत पुलिस ने पिछले द्वार से सर्वेक्षण दल को वहां से बाहर निकाला ।
यह तो देश पर किया गया आक्रमण है ! – केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब जिहादी लोगों को इस देश में शरिया कानून स्थापित करना है । उन्हें भारत में लोकतंत्र को समाप्त कर शरिया कानून लाना है । सर्वेक्षण दल कानून के अनुसार ही वहां गया था । ऐसा होते हुए भी उस पर किया गया आक्रमण तो कानून पर किया गया आक्रमण है । यह लोकतंत्र पर किया गया आक्रमण है । देश यह आक्रमण सहन नहीं करेगा ।
(और इनकी सुनिए… ) ‘पुनः सर्वेक्षण क्यों किया गया ?’ – समाजवादी दल के सांसद अखिलेश यादव ने उठाया प्रश्नसमाजवादी दल के सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि सर्वेक्षण तो हुआ था; परंतु उसे पुनः तथा प्रातःकाल में क्यों किया गया ? दूसरे पक्ष की बात सुनने के लिए वहां कोई नहीं था । चुनाव छोडकर किस बात पर चर्चा करनी है, यह भाजपा ही निर्धारित कर सकती है; इसीलिए यह किया गया है । जो कुछ भी हुआ, वह भाजपा तथा प्रशासन ने मिलकर किया, जिससे कि चुनाव की अप्रामाणिकता की चर्चा न हो । न्यायालय ने ही सर्वेक्षण का आदेश दिया था तथा प्रशासन की ओर से उसका कार्यान्वयन किया जा रहा था, यह स्पष्ट होते हुए भी यह प्रश्न उठाकर अखिलेश यादव धर्मांध मुसलमानों द्वारा फैलाई गई हिंसा को संरक्षण दे रहे हैं, इसे ध्यान में लें ! ऐसे राजनीतिक दलों के कारण ही इस देश में हिन्दू असुरक्षित तथा धर्मांध उद्दंड बन गए हैं ! |
संपादकीय भूमिका
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