आतंकवादी संगठनों की तरह ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ पर प्रतिबंध लगाएं ! -विधायक नितेश राणे, भाजपा

सज्जाद नोमानी को बंदी बनाने की मांग!

मुंबई – पी.एफ.आय. ( पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ) तथा आय.एस.आय.जैसे आतंकवादी संघटनो की तरह ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए और बोर्ड के सज्जाद नोमानी को बंदी बनाया जाना चाहिए ,ऐसी मांग बीजेपी नेता विधायक नितेश राणे ने की ।

नितेश राणे

१. तालिबान समर्थक सज्जाद नोमानी का महाविकास अघाड़ी को समर्थन ‘वोट जिहाद’ का अच्छा उदाहरण है । मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रतिनिधि के रूप में नोमानी ‘वोट जिहाद’ की भाषा बोल रहे थे; किंतु हमारे देश में रहकर ऐसा करने की क्या आवश्यकता है ? देश में रहकर सभी योजनाओं का लाभ उठाएं और वहां मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बनवाएं। भूमि ‘वक्फ बोर्ड’ के नाम पर हस्तांतरित कर दी गईं। वक्फ बोर्ड किसी इस्लामिक देश में नहीं अपितु भारत में ही है ।

२. हमें देश में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे विषय की आवश्यकता क्यों है ? हमें देश में अलग कानून की आवश्यकता क्यों है ? आपको (मुसलमानों को) उसी तरह रहना सीखना चाहिए जैसे देश के अन्य नागरिकों को सुविधाएं मिलती हैं।’ केवल मुसलमानों के लिए अलग पर्सनल लॉ बोर्ड क्यों ? हिंदू राष्ट्र में ये सब आवश्यक नहीं है । इसलिए उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ।

सज्जाद नोमानी

३. सज्जाद नोमानी के इतिहास पर दृष्टि डालें तो वह तालिबान समर्थक हैं । वह एक ‘ सफेदपोश ‘ आतंकवादी है जो सार्वजनिक फतवा जारी करता है।’ इसलिए जिस तरह कसाब को समाप्त किया था तो नोमानी पर भी वही नियम लागू किया जाना चाहिए । वे देश में रहकर ऐसा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नहीं चला सकते । महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड के नाम पर भूमि हड़पना स्वीकार नहीं किया जाएगा ।

4. हिन्दू होते हुए भी ठाकरे गुट के संजय राऊत जैसे लोग उनका समर्थन करते हैं; लेकिन वे आपके होंगे क्या ? वे अपने धर्म के बाहर किसी का सम्मान नहीं करते ।

५. उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस महाराष्ट्र में हिन्दू समुदाय के सामने ‘एक है तो सुरक्षित हैं’ ( साथ में होंगे तो सुरक्षित रहेंगे ) ये सत्यस्थिती प्रस्तुत कर रहे हैं । यदि हिन्दू समाज ने यह विचार नहीं किया तो कल यही नोमानी आपके घर में फतवा जारी कर देगा कि ‘ देवताओं की पूजा मत करो ‘। उस समय यह हिन्दू समाज कहाँ जायेगा ? यही विचार देवेन्द्र फडनवीस ने अपने भाषण में व्यक्त किये ; लेकिन अगर संजय राऊत उनकी आलोचना कर रहे हैं तो कसाब और संजय राऊत में कोई अंतर नहीं है ।