हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हिन्दुओं को सक्रिय करनेवाली ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ का बढता कार्य !
‘वर्ष २००२ में घटस्थापना के शुभमुहूर्त पर हिन्दू जनजागृति समिति की स्थापना हुई । कोरोना महामारी को छोड दिया जाए, तो प्रत्यक्ष कार्यान्वयन के स्तर पर कार्य करने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति सदैव पहल करती है । कोरोना महामारी के आपत्ति के समय घर बैठे हिन्दुओं के हृदय में हिन्दू राष्ट्र की ज्योत को एक मशाल में रूपांतरण करने हेतु तथा उन्हें क्रियाशील बनाने में हिन्दू जनजागृति समिति आगे थी । कोरोना से पूर्व प्रत्यक्ष समाज में जो उपक्रम चल रहे थे, समिति ने उन्हीं उपक्रमों को आधुनिक माध्यमों से ‘ऑनलाइन’ आरंभ करने का प्रयास किया । इसका प्रत्यक्ष परिणाम कोरोना महामारी की आपदा के उपरांत देखने को मिल रहा है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं को संगठित करनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति का कोरोना महामारी की आपदा के उपरांत बढते दैवीय कार्याें का लेख यहां दिया है ।
१. कोरोना महामारी के समय आरंभ किए गए अभिनव ऑनलाइन उपक्रम
१ अ. धर्म एवं सामाजिक जीवन पर आयोजित ‘ऑनलाइन’ प्रश्नोत्तरी संवाद – ‘धर्मसंवाद’ : कोरोना के काल में समाज को घर बैठे धर्मशिक्षा मिले; इसके लिए समिति ने स्वयं के ‘यू ट्यूब’ चैनल पर प्रतिदिन ‘धर्मसंवाद’ नाम से एक अभिनव कार्यक्रम आरंभ किया । सामाज के मन में धर्म एवं सामाजिक जीवन के विषय में उठनेवाले प्रश्नों के उत्तर देना ही इसका स्वरूप था । इस कार्यक्रम के अंतर्गत हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी समाज के लोगों के मन में उठनेवाले प्रश्नों के उत्तर देते थे । इस कार्यक्रम से त्योहार, उत्सव एवं व्रतों के विषय में धर्मशास्त्रीय दृष्टिकोण; कर्मयोग, नामसंकीर्तनयोग एवं आचारधर्म के विषय में हिन्दू समाज को धर्मशिक्षा मिली । यह संपूर्ण उपक्रम ऑनलाइन होने से वह स्थायी रूप से ‘यू ट्यूब’ पर संग्रहित हुआ । इसके कारण समाज उसे कभी भी देख सकता है तथा उससे मार्गदर्शन ले सकता है ।
१ आ. हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में ‘ऑनलाइन’ वैचारिक संवाद – ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ ! : इसी अवधि में ‘यू ट्यूब’ चैनल पर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में वैचारिक चर्चा करानेवाला ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ कार्यक्रम आरंभ किया गया । इस कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्र-धर्म के संकटों के संदर्भ में प्रतिदिन होनेवाली घटनाएं, उदा. धर्म विरोधी वक्तव्य, सरकार की हिन्दू विरोधी नीति, मंदिर-संस्कृति रक्षा, हिन्दू संत-परंपराओं का अनादर, लव जिहाद, धर्मांतरण, हलाल जिहाद इत्यादि विषयों पर वैचारिक चर्चाएं आयोजित की गईं । यह परिचर्चा तो ‘आक्षेपों का खंडन कैसे करना चाहिए ?’, इस विषय में आत्मविश्वास बढानेवाला स्रोत था । ‘धर्म पर हो रहे आघातों का प्रत्युत्तर कैसे देना चाहिए ?’, यह प्रतिदिन इसकी ली जानेवाली एक कार्यशाला ही थी । यह चर्चा तो हिन्दुत्वनिष्ठ विचारकों का व्यासपीठ बन गया था । इस माध्यम से वैचारिक स्तर पर हिन्दू धर्मरक्षा का कार्य करनेवाले प्रवक्ता, विचारक तथा संतों का भी संगठन हुआ । इसकी फलोत्पत्ति यह थी कि आगे जाकर देहली, मुंबई, रांची, छत्तीसगढ एवं बेंगळूरु (कर्नाटक) में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में वैचारिक परिषदों का आयोजन हुआ ।
१ इ. हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाओं का ‘ऑनलाइन’ आयोजन : कोरोना महामारी से पूर्व समाज में अनेक स्थानों पर हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाओं को अच्छा प्रतिसाद मिल रहा था । कोरोना महामारी के आने से प्रत्यक्ष सभाएं करने में समस्याएं थीं । भले ही कोरोना महामारी का काल हो, तब भी हिन्दू धर्म पर हो रहे आघात रुके नहीं थे । उसके कारण हिन्दुओं में जागृति लाने के लिए ऑनलाइन हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं लेना सुनिश्चित हुआ । इस सभा में सहस्रों लोग जुडते जा रहे थे । ‘इन सभाओं से जो जिज्ञासु मिले हैं, वे वर्तमान में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में सम्मिलित हो चुके हैं’, यह केवल ईश्वरीय कृपा का ही परिणाम है ।
१ ई. ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का ‘ऑनलाइन’ आयोजन : हिन्दुत्वनिष्ठों में राष्ट्रव्यापी समन्वय हो, इस उद्देश्य से समिति प्रतिवर्ष अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन करती है । यातायात बंदी के काल में यदि ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ नहीं हुआ, तो उससे सभी से समन्वय करने में समस्याएं आ सकती हैं’, इसे ध्यान में रखते हुए वर्ष २०२० में सुनिश्चित किया गया कि ऑनलाइन ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ लिया जाए । इस अधिवेशन में केवल देश के ही नहीं; अपितु विदेशों के भी अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों ने भाग लिया था । यह अधिवेशन निरंतर ७ दिन तथा प्रतिदिन ३ घंटे चलता था । इस अधिवेशन में राष्ट्रीय स्तर से लेकर जिला स्तर के सभी लोग ऑनलाइन जुडे थे । उसके कारण एक ही समय पर विषय को सर्वत्र पहुंचाना तथा मार्गदर्शन करना सरल हुआ । इस अधिवेशन में ऑनलाइन २ सहस्र से अधिक क्रियाशील हिन्दुत्वनिष्ठ तथा विचारक सहभागी हुए थे । यह प्रतिसाद उससे पूर्व आयोजित प्रत्यक्ष अधिवेशनों की उपस्थिति से भी अधिक था ।
२. धर्मप्रेमियों को सक्रिय बनाने हेतु चलाए गए अभिनव उपक्रम
२ अ. धर्मप्रेमियों को कानून के विषय में जानकारी देनेवाली ‘ऑनलाइन’ कार्यशालाओं का आयोजन : कोरोना महामारी से पूर्व धर्मजागृति के कार्य से भी अनेक लोग जुड गए थे । कोरोना महामारी के काल में धर्मप्रेमियों तथा हिन्दुत्वनिष्ठ विचारों के अधिवक्ताओं को सक्रिय बनाए रखने हेतु जिले-जिले में ऑनलाइन ‘सूचना अधिकार कार्यशाला’ तथा ‘कानून प्रशिक्षण कार्यशालाओं’ का आयोजन किया गया । इन कार्यशालाओं का लाभ यह हुआ कि उनसे प्रशिक्षित होने के कारण प्रत्यक्ष कार्य में उनका आत्मविश्वास बढ गया है ।
२ आ. धर्मरक्षा हेतु अभिनव ‘ऑनलाइन’ आंदोलन : यातायात बंदी के काल में सडकों पर उतरकर आंदोलन करना असंभव था; परंतु ‘ट्विटर’ (वर्तमान में ‘एक्स’) एवं फेसबुक ‘ट्रेंड’ के माध्यम से (सामाजिक माध्यमों पर किसी विषय पर की जानेवाली चर्चा) आंदोलन चलाए जा सकते हैं, हिन्दू जनजागृति समिति के ध्यान में यह बात आई । इसी काल में देश के ‘अर्बन (शहरी) नक्सलियों’ ने भारत में जो हिन्दुत्वनिष्ठ विचारोंवाली सरकार है, उसके विरोध में अमेरिका में ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व कॉन्फरेंस’ का (विश्व स्तर पर हिन्दुत्व निर्मूलन परिषद का) आयोजन किया था । इसमें अमेरिका के ४० से अधिक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों ने भाग लिया था । इस संदर्भ में समिति ने पूरे देश के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के नेताओं की ‘ऑनलाइन’ बैठक लेकर इसका विरोध करना सुनिश्चित किया । इस बैठक में उक्त कार्यक्रम रद्द करने की मांग करनेवाले ई-मेल भेजना, हाथ में परिषद की निंदा करनेवाले फलक लेकर संबंधित अधिकारियों को उनके छायाचित्र एवं वीडियो भेजना ‘ट्विटर ट्रेंड’ चलाना, फेसबुक द्वारा प्रचार-प्रसार आदि कार्यवाही सुनिश्चित की गई ।
– श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति. (क्रमश:)
कोरोना महामारी के काल में ‘यू ट्यूब’ चैनल ‘हिन्दूजागृति’ की लोकप्रियता बढ गई है !हिन्दू जनजागृति समिति के आधिकारिक ‘यू ट्यूब’ चैनल ‘हिन्दूजागृति’ पर अनेक ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रमों का आयोजन होने से बडे स्तर पर इस चैनल का प्रचार हुआ । कोरोना महामारी के १० वर्ष पूर्व से कार्यरत होते हुए भी ३२,००० सदस्य संख्यावाले ‘हिन्दूजागृति’ चैनल की सदस्य संख्या केवल एक वर्ष में ही १ लाख तक जा पहुंची । १ लाख से अधिक सदस्य संख्या होने पर ‘गूगल’ प्रतिष्ठान ने ‘यू ट्यूब’ चैनल ‘हिन्दूजागृति’ को ‘सिल्वर ट्रॉफी’ प्रदान कर सम्मानित किया । यातायात बंदी के समय में तथा उसके उपरांत के काल में ‘हिन्दूजागृति’ चैनल की सदस्य संख्या निम्न सारणी में दी गई है – यह सब होना केवल ईश्वरीय कृपा की अनुभूति थी । यातायात बंदी की अवधि में सभी उपक्रम ‘ऑनलाइन’ प्रभावकारी होने हेतु परिश्रम करनेवाले ‘आईटी विंग’ के साधकों के प्रति कृतज्ञता !यातायात बंदी के काल में धर्मजागृति के सभी उपक्रमों तथा आंदोलनों का ‘ऑनलाइन’ आयोजन होने से, साथ ही उनका प्रभावकारी होना आवश्यक होने के कारण समिति के ‘आईटी’ विंग के (सूचना-प्रौद्योगिकी शाखा के) साधकों ने बहुत परिश्रम किया । इस काल में अनेक साधकों ने दिन-रात सेवा की । इन उपक्रमों के लिए आवश्यक चित्रीकरण करना, दृश्य-श्रव्य संकलन करना, कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण करना, ऑनलाइन आंदोलन की तैयारी करना इत्यादि विभिन्न सेवाओं में इन साधकों की कुशलता बढी । इन सेवाओं के कारण अनेक साधक तकनीकी दृष्टि से कुशल हो गए । उसके कारण सेवा की गुणवत्ता एवं दक्षता में वृद्धि हुई । अतः ‘आईटी विंग’ के इन सभी साधकों के प्रति अनंत कृतज्ञता ! – श्री. सुनील घनवट |