वास्तुशास्त्र (भवन-निर्माण शास्त्र)

वेदकाल से विकसित वास्तुशास्त्र और विज्ञान के उत्तम उदाहरण, हिन्दुओं के देवालय !

वेदकाल में विकसित वास्तुशास्त्र का प्रमाण, भारत के प्राचीन देवालय हैं । इनके निर्माण में विज्ञान और अध्यात्म का अच्छा समन्वय दिखाई देता है । देवालयों के निर्माण शास्त्र का अध्ययन कर, उसका उपयोग समाज के लिए करना, यह आधुनिक विज्ञानयुग के वास्तुशास्त्रज्ञों के लिए बडी चुनौती है ।

चुंबकशक्ति का उपयोग कर, मंदिर में मूर्ति स्थापित करना !

ऐसा कहा जाता है कि देश के पश्चिमी समुद्रतट पर स्थित सोमनाथ मंदिर में चुंबकशक्ति का उपयोग कर, शिवलिंग को अधर में (बिना आधार का) रखा गया था । कोणार्क का सूर्यमंदिर बहुत भव्य था । इस मंदिर में चुंबकशक्ति का उपयोग कर, सूर्य की प्रतिमा स्थापित की गई थी । मंदिर की चुंबकशक्ति का प्रभाव समुद्र में चलनेवाले जलयानों पर भी दिखाई पडता था ।

– डॉ. पद्माकर विष्णु वर्तक, मासिक ‘भाग्यनिर्णय’