रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों को स्कूल में प्रवेश देने के सन्दर्भ में जनहित याचिका देहली उच्च न्यायालय ने खारिज की
देहली सरकार से सम्पर्क करने की दी सलाह
नई देहली – रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों को शालाओं में प्रवेश मिले, इस याचिका पर विचार करने के लिए देहली उच्च न्यायालय ने इन्कार किया है । इस याचिका में म्यानमार से भारत आए हुए रोहिंग्या घुसपैठियों के बच्चों का पंजीकरण करने का आदेश देने की मांग की गई थी । उच्च न्यायालय ने कहा है कि वह इस याचिका पर केन्द्रीय गृह मन्त्रालय से सम्पर्क करेगा ।
Delhi High Court rejects a public interest litigation requesting for the education of children of Rohingya infiltrators in local schools.
They have been advised to speak to the Delhi Government.
In reality action needs to be taken against those who make such petitions. When the… pic.twitter.com/bhnhv2r4O7
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 31, 2024
देश की सुरक्षा का प्रश्न !
न्यायालय ने कहा कि,
१. हम इस मामले में नहीं फंसेंगे. उच्च न्यायालय में जाने से पूर्व आपको सरकार से सम्पर्क करना चाहिए । जो आप प्रत्यक्ष रूप से नहीं कर सकते, वह अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं कर सकते । इस मामले में न्यायालय को माध्यम नहीं बनना चाहिए । ये बच्चे भारतीय नहीं हैं । इस समस्या में अन्तर्राष्ट्रीय हित समाविष्ट है । इस विषय में रणनीतिक निर्णय लेने की आवश्यकता है । इसलिए भारत सरकार इसके लिए सबसे अच्छा विकल्प है । देश की सुरक्षा इससे जुडी है । इसलिए, बच्चे पैदा करने का अर्थ यह नहीं कि सारी दुनिया यहां आ जाएगी ।
२. उच्चतम न्यायालय के हालिया निर्णय को भी इस मामले में शामिल किया है, जिसमें नागरिकता अधिनियम १९५५ की धारा ‘६ अ’ की संवैधिनिकता को कायम रखा गया था । यह खंड असम समझौते के अन्तर्गत आने वाले अप्रवासियों को भारत की नागरिकता देने के सन्दर्भ में है ।
संपादकीय भूमिकाऐसी याचिका करने वालों पर ही कार्यवाही करने की आवश्यकता है । घुसपैठियों को देश से निर्वासित करने की आवश्यकता होते हुए भी उन्हें सहायता करने के लिए न्यायालय तक जानेवाले लोगों को भी देश से निर्वासित करना चाहिए ! |