Rashid Alvi : (और इनकी सुनिए…) ‘यदि हिन्दुओं ने गैरकानूनी मस्जिदों के विरुद्ध आवाज उठाई, तो गृहयुद्ध होगा !’ – कांग्रेस के ज्येष्ठ नेता राशिद अल्वी
कांग्रेस के ज्येष्ठ नेता राशिद अल्वी का वक्तव्य !
नई देहली – कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने ‘आइ.ए.एन.एस. (इंडो-एशियन न्यूज सर्विस) नामक वृत्तसंस्था को वक्तव्य देते हुए कहा, ‘उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों में गैरकानूनी मस्जिदों के विरुद्ध हिन्दू संगठनों द्वारा प्रदर्शन किए जा रहे हैं । देशभर के हिन्दू संगठनों द्वारा निषेध व्यक्त करने के साथ ही ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की जा रही है । इस बढते हुए निषेध के कारण चिंता व्यक्त की जा रही है, जो विशेषतः भाजपा द्वारा शासित राज्यों में दिखाई दे रही है । (भाजपा सरकार के रहते गैरकानूनी मस्जिदों का विरोध करने की शक्ति कानूनप्रेमी नागरिकों में निर्माण हुई है । कांग्रेस के साथ ही अन्य दलों के रहते यह हिम्मत नहीं की जाती थी । यह बात अल्वी स्वीकार कर रहे हैं ! – संपादक) मस्जिदों के विषय में बढ रहा द्वेष देखकर मैं दु:खी एवं चिंतित हूं । मस्जिदें गिराने की मांग सर्वत्र की जा रही है । एक ओर इस्लामी देशों में मंदिरों का निर्माणकार्य हो रहा है तो दूसरी ओर भारत में मस्जिदों को लक्ष्य (टार्गेट) किया जा रहा है । (इस्लामी देशों में मंदिरों का निर्माणकार्य हो रहा है, पर भारत में धर्मांध मुसलमानों द्वारा मंदिरों पर आक्रमण हो रहे हैं, हिन्दुओं की धार्मिक शोभायात्राओं पर मस्जिद के स्थानों से आक्रमण हो रहे हैं, क्या इस विषय में अल्वी कुछ कहेंगे ? – संपादक) यह स्थिति लंबे समय तक नहीं रह सकती । इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं । ऐसी घटनाएं देश को गृहयुद्ध की ओर ले जा रही हैं ।’
Senior Congress leader Rashid Ali's statement!
'If Hindus continue to raise their voices against illegal mo$que$, then there will be civil war!'This is nothing but a direct threat to Hindus from Ali !
It is important to note that he expects Hindus to do nothing even if… pic.twitter.com/Z1TBmS5OwK
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 26, 2024
राशिद अल्वी ने आगे कहा, ‘आज आपके पास (भाजपा के पास) सत्ता एवं शक्ति हैं; परंतु सरकार स्थायीरूप से नहीं टिक सकती । इस कारण मस्जिद एवं मंदिर, इन दोनों की सुरक्षा आवश्यक है । सभी धार्मिक स्थानों की रक्षा करना, यह सरकार का दायित्व है ।’
संपादकीय भूमिका
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