Vishwaprasanna Theertha Swami : (और इनकी सुनिए…) “यदि पेजावर स्वामी भगवा कपडे छोड दें, तो हम उन्हें सबक सिखाएंगे !” – कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद

स्वामीजी ने जाति आधारित जनगणना के विरुद्ध बयान दिया था !

(बाएंसे) बी.के. हरिप्रसाद और श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी

नई दिल्ली – जाति आधारित जनगणना के विरुद्ध दिए गए बयानों को लेकर पेजावर मठ के श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी पर विधान परिषद के विधायक बी.के. हरिप्रसाद ने तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि स्वामीजी राजनेताओं की तरह बयान दे रहे हैं। पहले पेजावर विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी राजनीतिक विषयों पर कोई बयान नहीं देते थे। वे वरिष्ठ हैं, लेकिन अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने के बाद से वे सभी मुद्दों पर बयान देने लगे हैं। स्वामीजी का कहा जाता है कि वे त्यागी हैं, लेकिन अब स्वामीजी बदल गए हैं। अगर पेजावर स्वामीजी भगवा वस्त्र त्याग दें, तो हम उन्हें सबक सिखाएंगे, यह अत्यंत निम्न स्तर पर जाकर हरिप्रसाद ने बयान दिया।

श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी ने क्या कहा था ?

दो दिन पहले शिवमोगा में पत्रकारों से बात करते हुए उडुपी के पेजावर मठ के श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी ने कहा कि, “धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में जाति आधारित जनगणना की क्या आवश्यकता है ? जाति आधारित जनगणना के लिए सरकार ने बड़ा व्यय किया है। एक ओर कहा जाता है कि जाति आधारित राजनीति की आवश्यकता नहीं है, और दूसरी ओर कहा जाता है कि ऐसी जनगणना जरूरी है। आखिर जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता क्या है ?”

ब्राह्मण संगठनों का विरोध

बागलकोट – जाति आधारित जनगणना पर अपनी राय व्यक्त करने वाले आदरणीय श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी के संबंध में हल्की भाषा का उपयोग करने वाले कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद को तुरंत क्षमा मांगनी चाहिए, इस पर ‘अखिल कर्नाटक ब्राह्मण महासभा’ और ‘ब्राह्मण युवा संघ’ ने जोर दिया है।

उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि लोकतंत्र में सभी को समान रूप से बोलने का अधिकार है। स्वामीजी ने जाति आधारित जनगणना पर किसी की आलोचना नहीं की है। समाज में समानता लानी है तो जाति के आधार पर समाज को विभाजित कर उसका महिमामंडन करना उचित नहीं है, यही उनका बयान था। हरिप्रसाद को तुरंत स्वामीजी से क्षमा मांगनी चाहिए, अन्यथा हमें इस संघर्ष में उतरना पड़ेगा, ऐसा संकेत ब्राह्मण संगठनों ने दिया है। (श्री विश्वप्रसन्न तीर्थ स्वामीजी पूरे हिंदू समाज के संत हैं, इसलिए केवल ब्राह्मणों ने ही नहीं, बल्कि सभी ने उनका समर्थन करना चाहिए ! – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

यदि पेजावर स्वामीजी के स्थान पर किसी मौलाना या मौलवी ने ऐसा बयान दिया होता, तो विधायक महोदय उनकी आलोचना करना तो दूर, बल्कि उनका समर्थन ही करते। यह हिंदुओं की अति सहिष्णुता का परिणाम है कि कोई भी आकर हिंदू संतों पर कीचड उछालने लगता है !