Supreme Court on NCPCR : कानून का अनुपालन न करनेवाले मदरसे बंद करने के अनुरोध को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगित किया
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने किया था अनुरोध
नई देहली – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शिक्षा अधिकार कानून का अनुपालन न करने के कारण सरकारी अनुदानित मदरसे बंद करने का अनुरोध किया था । इस अनुरोध को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगित कर दिया है । विशेष न्यायाधीश (चीफ जस्टिस) धनंजय चंद्रचूड, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के खंडपीठ ने इस पर सुनवाई की । इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस भेजा है । ४ सप्ताह उपरांत इस पर पुनः सुनवाई होगी । सर्वोच्च न्यायालय ने इस समय अनाधिकृत मदरसों के छात्रों को सरकारी विद्यालयों में स्थानांतरित करने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को भी स्थगित कर दिया है । आयोग के अध्यक्ष श्री. प्रियांक कानुनगो ने कहा, ‘मैंने कभी भी मदरसे बंद करने की मांग नहीं की है, इसके विपरीत इन संस्थाओं को सरकार द्वारा दी जा रही निधि पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है, क्योंकि ये संस्थाएं निर्धन मुसलमान बच्चों को शिक्षा से वंचित रखती हैं । हमने बच्चों को मदरसों की अपेक्षा सर्वसामान्य विद्यालयों में भर्ती करने का अनुरोध किया है ।’
क्या था अनुरोधन ?
हाल ही में आयोग द्वारा दिए विवरण के अनुसार मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी तथा उन्होंने शिक्षाधिकार कानून का अनुपालन न करने पर उन्हें सरकार द्वारा प्राप्त निधि रोकने के लिए अनुरोध किया था । आयोग ने कहा था कि निर्धन मुसलमान बच्चों पर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की अपेक्षा धार्मिक शिक्षा लेने हेतु दबाव डाला जाता है । जिस प्रकार धनवान परिवारों में धार्मिक एवं नियमित शिक्षा हेतु निवेश किया जाता है, उसी प्रकार निर्धन बच्चों को भी यह शिक्षा दी जानी चाहिए । सभी को समान शैक्षिक अवसर का लाभ हो, ऐसा हमारा मत है ।’