विशेष संपादकीय : निर्णायक ‘बीबीसी ट्रायल’ !
भारत एवं हिन्दुओं के प्रति द्वेष जिसकी पेशी पेशी में समाया हुआ है, ऐसी वैश्विक समाचारवाहिनी का दूसरा नाम है, ‘बीबीसी – ब्रिटीश ब्रौडकास्टिंग कार्पोरेशन’ ! वैसे तो ‘द गार्डियन’, ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’, ‘वॉशिंग्टन पोस्ट’, ‘टाइम’, ‘अल्-जजीरा’ आदि पश्चिमी प्रसारमाध्यम एक जैसे ही हैं । परंतु ‘बीबीसी’ इन सब में पहले स्थान पर है । भारत के संदर्भ में झूठे कथानक फैलानेवालों के लिए वैचारिक विष (जहर) की आपूर्ति करने में ‘बीबीसी’ क्रमांक एक पर है । भारत अर्थात निर्धनों का, लाचार जनता का एवं ‘शैतानी धर्म’ (सनातन धर्म) का, इस प्रकार विकृत एवं निराधार तस्वीर उसने प्रस्तुत की है । १०२ वर्षों पूर्व ‘बीबीसी’ का जन्म हुआ । इन वैश्विक वैचारिक गुंडों का विचार करने का प्रयोजन अर्थात इस समाचारवाहिनी की मानसिकता की वास्विकता उजागर करनेवाली ‘डॉक्युमेंट्री’ २५ अक्टूबर को विश्वभर में प्रसारित हो रही है । ‘बीबीसी ऑन ट्रायल (‘बीबीसी’ के विरुद्ध अभियोग)’ ऐसा उसका नाम है तथा इसमें ‘बीबीसी’ द्वारा किया जा रहा भारत विरुद्ध गैरप्रचार का अत्यधिक अध्ययनपूर्ण चित्रण किया गया है । ‘ग्लोबल हिन्दू फाऊंडेशन’, ‘प्राच्यम’, ‘स्ट्रिंग जिओ’ एवं ‘जयपुर डाइलॉग्ज’ नामक हिन्दुत्वनिष्ठ ऑनलाईन माध्यमों से ‘बीबीसी ऑन ट्रायल’ अंग्रेजी भाषा में प्रदर्शित की जाएगी । शीघ्र ही हिन्दी, तमिल, मराठी आदि भारतीय भाषाओं में भी भाषांतर किए गए संस्करण प्रसारित होंगे ।
कट्टर भारतद्वेष !
वैश्विक स्तर पर भारत के विरुद्ध जो ‘डीप स्टेट’ कार्यरत है, उनमें बीबीसी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है । भारत के, अर्थात हिन्दुओं के विरुद्ध ‘बीबीसी’ ‘गोबेल्स नीति’ का प्रयोग कर ‘भारत के हिन्दू किस प्रकार मुसलमान-द्वेषी, हिंसाचारी एवं असहिष्णु हैं’, इसका चित्र निरंतर समाजमन पर अंकित किया जा रहा है । देखा जाए तो ‘बीबीसी’ के एकतर्फा द्वेषपूर्ण वार्तांकन का अनेक दशकों का इतिहास है । वर्ष १९७० में उसने भारत के संदर्भ में ‘ फंटम इंडिया’ एवं ‘कैलकटा’ नामक दो ‘डॉक्युमेंट्रीज’ प्रसारित की थी । उनमें भारत की दरिद्रता एवं देश का निराशावादी चित्र दिखाया गया था । भारत की स्वतंत्रता के २५ वर्ष सम्पन्न हुए थे । भारत बहुत आगे निकल चुका था । फिर भी उसका कथित विकृत एवं पूर्वाग्रहदूषित रूप दिखाने का प्रयास ‘बीबीसी’ ने किया । ‘बीबीसी’ की कश्मीर के विषय में भारतविरोधी भूमिका तो सुविदित ही है, जिसमें पाकिस्तान एवं जिहादी आतंकवादियों का पक्ष लेकर अत्यंत पक्षपात पूर्वक पत्रकारिता की जाती है ।
वर्ष १९९५ में जिहादी आतंकवादियों ने कश्मीर के ‘चरार-ए-शरीफ’ को लक्ष्य कर उसे जला दिया था । ‘बीबीसी’ ने उसके समाचार दिखाते समय चेचनिया में रूस के टैंक कार्रवाई करते हुए वीडियो प्रदर्शित किए । इससे आतंकवादी नहीं, अपितु भारत की सेना द्वारा ‘चरार-ए-शरीफ’ पर आक्रमण करने का भ्रम उत्पन्न किया गया । ‘बीबीसी’ के झूठेपन का अनुमान लगाने हेतु यह उदाहरण पर्याप्त है । पत्रकार एवं लेखिका अशाली वर्मा कहती हैं, ‘मैं एकबार कुछ कार्य के लिए भारत के ‘बीबीसी’ के संवाददाताओं के कक्ष में गई थी । वहां उपस्थित पत्रकार समूह हत्या, बलात्कार अथवा हिंसा जैसी संबंधित घटनाएं ढूंढने में लिप्त थे ।’ १४० करोड जनसंख्या के देश में ऐसी नकारात्मक घटनाएं ढूंढने में लिप्त इस वैश्विक समाचारवाहिनी का वैचारिक स्तर समझने हेतु यह एक उदाहरण ! वर्ष २००२ में गोधरा हत्याकांड की अनदेखी कर उसके उपरांत उमड पडे दंगों का उदात्तीकरण एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर कीचड उछालना, अथवा वर्ष २०१२ में देहली की निर्भया बलात्कार एवं हत्याकांड को लेकर संपूर्ण देश एकजुट हुआ था तब भी बलात्कारियों का उदात्तीकरण, साथ ही ‘देहली अर्थात विश्व की बलात्कार की राजधानी’ इस प्रकार लज्जित करना, यही तो है ‘बीबीसी’ ! भारतद्वेष से भरी ‘बीबीसी’ का सत्य स्वरूप इस ‘डॉक्युमेंट्री’ द्वारा विश्व के सामने उजागर होगा ।
‘बीबीसी’ के लिए हिन्दू गोरक्षक ‘गुंडें’, तो मुसलमान गोहत्यारे ‘पीडित’ होते हैं; ‘द कश्मीर फाइल्स’ चलचित्र मुसलमानद्वेषी, जबकि ‘पीके’ चलचित्र हिन्दू अंधश्रद्धा के विरुद्ध लडाई होती है; १० करोड वृक्ष काटकर मनाया जानेवाला ईसाईयों का क्रिसमस ‘बीबीसी’ के लिए आनंदोत्सव, जबकि हिन्दुओं का गणेशोत्सव पर्यावरण विरोधी होता है ?
‘बीबीसी’ के ‘बीबीसी ग्लोबल डिसइन्फॉर्मेशन टीम’ एवं ‘बीबीसी वेरिफाइ’ ये २ विभाग हिन्दुद्वेष आगे धकेलने हेतु हिन्दुविरोधी घटनाओं को ‘वे हिन्दुविरोधी नहीं, अपितु मुसलमानद्वेष से प्ररित हैं’, ऐसा भ्रम फैलाने में लिप्त रहते हैं । इन विभागों ने बांग्लादेश में अगस्त २०२४ में मुसलमानों द्वारा किए गए सैंकडों हिन्दुविरोधी आक्रमणों को ‘हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा किया गया गैरप्रचार था’, ऐसा भ्रम निर्माण किया, जबकि पिछले वर्ष हरियाणा के नूंह गांव में हिन्दुओं की ब्रजमंडल यात्रा पर मुस्लिमों द्वारा आक्रमण हुआ था, तब भी ‘हिन्दू भीड ने मुस्लिमों पर आक्रमण किया’, ऐसा वार्तांकन किया । अधिकांश हिन्दू समाज इस प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय कथानकों के कपटी पद्धति से अनभिज्ञ होने के कारण वह इस विष में फंस जाते हैं । ‘बीबीसी’ के दावे के अनुसार प्रत्येक सप्ताह केवल भारत में न्यूनतम ८ करोड लोग ‘बीबीसी’ समाचार पढते हैं । इससे ‘बीबीसी’ का प्रभाव कितना गहरा है, यह ध्यान में आता है ।
सीमापार करें !
अंतर्राष्ट्रीय वृत्तवाहिनी ‘अल-जजीरा’ द्वारा युद्ध का वार्तांकन देते समय हमास का पक्ष लेने के कारण, गौरवशाली इजराइल ने अपने यहां स्थित उसके कार्यालय में घुसकर उसे बंद कर दिया । वर्तमान के युद्ध हथियारों की अपेक्षा विचारों से लडे जाते हैं । इसलिए भारत को इजराइल के समान भूमिका भविष्य में निभाना अनिवार्य है । ‘बीबीसी ऑन ट्रायल’ यह उसी दिशा में पहला अगवानी कदम है ।
‘ग्लोबल हिन्दू फाऊंडेशन’ के अध्यक्ष पंडित सतीश शर्मा ने इसके लिए पिछले डेढ वर्ष अथक परिश्रम कर उसका निर्माण किया है । सतीश शर्मा कहते हैं, ‘मैं पिछले ८ वर्षों से लंदन के ‘बीबीसी’ के कार्यालय में जाकर भारतविरोधी वृत्तांकन के विरुद्ध अवाज उठाता आ रहा हूं । परंतु ‘बीबीसी’ ने कभी भी उसे स्वीकार नहीं किया । इसी कारण मैंने ‘बीबीसी ऑन ट्रायल’ का निर्माण किया ।’ उसका प्रचार-प्रसार सर्वदूर कर ‘बीबीसी’ को भारत से सीमापार करनेवाले जन-आंदोलन की यह ‘डॉक्युमेंट्री’ निर्णायक चिंगारी बने, यही अपेक्षा’ !
‘बीबीसी’ के विरुद्ध लडाई काल की आवश्यकता है तथा उसमें सहभागी होना, प्रत्येक हिन्दू का धर्मकर्तव्य ही है ! |