SC On Isha Foundation Case : उच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आश्रम की जांच का आदेश दिया !
सद्गुरु जग्गी वासुदेव को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय को फटकार लगाई!
नई दिल्ली – सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ‘ईशा फाउंडेशन’ के कोयंबटूर स्थित आश्रम में २ बहनों को जबरदस्ती कैद में रखने के मामले में उनके पिता ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने इस आश्रम की तलाशी का आदेश पुलिस को दिया था। इसके बाद १५० पुलिसकर्मियों ने आश्रम की तलाशी भी ली थी। इसके विरोध में सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय को फटकार लगाई और लड़कियों के पिता की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि जब २ महिलाओं ने स्वयं कहा है कि वे स्वेच्छा से आश्रम में रह रही हैं, तब भी उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करने की बजाय अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर आदेश जारी किया। जिन २ महिलाओं को कैद में रखने का आरोप लगाया गया था, उनके साथ मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड़ की अदालत में न्यायाधीशों ने ऑनलाइन बातचीत की। इस दौरान दोनों महिलाओं ने मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ से कहा कि वे अपनी इच्छा से आश्रम में रह रही हैं।
The court overstepped its boundaries and ordered a search on the ashram !
Relieving Sadhguru Jaggi Vasudev the Supreme Court reprimands the Madras High Court!
Thanks to this decision by the #SupremeCourt the Hindu hatred of the State government and the police in Tamilnadu has… pic.twitter.com/5X4EkRZfn2
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) October 18, 2024
मद्रास उच्च न्यायालय ने क्या कहा था? ३० सितंबर की सुनवाई के तहत मद्रास उच्च न्यायालय ने जग्गी वासुदेव के वकीलों से पूछा कि जब जग्गी वासुदेव ने अपनी बेटी का विवाह किया है, तो वे अन्य युवतियों को गृहस्थ जीवन त्यागकर सन्यासी जैसा जीवन जीने के लिए क्यों प्रेरित कर रहे हैं?
संपादकीय भूमिकासुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आंध्रप्रदेश सरकार और पुलिस की हिंदू-विरोधी मानसिकता फिर से उजागर हो गई है! लव जिहाद के मामलों में क्या आंध्रप्रदेश सरकार ने कभी मदरसे या मस्जिदों की जांच के आदेश दिए हैं? |