भैयादूज

पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन यमुना ने अपने भाई भगवान यमराज को अपने घर आमंत्रित कर उनको तिलक लगाया तथा अपने हाथों से स्वादिष्ट भोजन कराया । यमराज ने अति प्रसन्न होकर यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा ।

श्री. सुनील घनवट

यमुना ने कहा, ‘‘आज के दिन जो बहन अपने भाई को निमंत्रित कर उसे अपने घर का भोजन खिलाए तथा उसके माथे पर तिलक लगाए, उसे यम का भय न रहे ।’’ यमराज ने ‘तथास्तु’ कहा । तब से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को बहन अपने भाई को भोजन कराकर, उसे तिलक लगाती है । इस कारण भाई-बहन के बीच सांसारिक लेन-देन अल्प (कम) होता है । जो इस दिन भाई-बहन की यह परंपरा निभाकर यमुना में स्नान करता है, उसे यमराज यमलोक की यातना नहीं देते । इस दिन मृत्यु के देवता यमराज तथा उनकी बहन यमुना की पूजा की जाती है ।

– श्री. सुनील घनवट, हिन्दू जनजागृति समिति

भाई की आरती उतारने पर बहन को सूक्ष्म स्तर पर होनेवाला लाभ ! 

१. भैयादूज के दिन बहन भाई की आरती उतारती है; क्योंकि स्त्री में विद्यमान विविध प्रकार के भावों में एक है ‘वात्सल्य भाव’ । इसमें करुणा की मात्रा अधिक होती है । भैयादूज के दिन अपने भाई की आरती उतारते समय उसमें वात्सल्य भाव कार्यरत रहता है ।

२. भैयादूज के दिन जब बहन भाई की आरती उतारती है, तब भाई के श्वासोच्छ्वास से उसकी देह में तेजतत्त्व के कण प्रवाहित होते हैं, जिससे उसकी आयु बढती है और शरीर के सर्व ओर सुरक्षा-कवच निर्मित होता है ।

. जब बहन भाई की आरती उतारती है, तब उसमें विद्यमान अप्रकट अवस्था के शक्तिस्पन्दन, प्रकट स्वरूप में कार्यरत होते हैं । तत्पश्चात उसका प्रक्षेपण भाई की दिशा में होता है, जिससे भाई को कार्यशक्ति प्राप्त होती है ।
– श्री. सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति.