संपादकीय : ‘स्वच्छ भारत’ का एक दशक पूरा !
अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान के १० वर्ष पूरे हुए । वर्ष २०१४ में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार गांधी जयंती पर इस ‘स्वच्छ भारत’ अभियान की शुरुआत की थी । अब १० वर्ष पूरे होने के अवसर पर नरेंद्र मोदी दिल्ली के एक स्कूल गए और वहां छात्रों के साथ मिलकर साफ-सफाई की । सभी से इस अभियान में भाग लेने को कहा । इस अभियान के अंतर्गत हर साल अलग-अलग नीतियां तय की जाती हैं । इस वर्ष ‘स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता’ की नीति तय की गई है । इस अभियान के १० वर्ष पूरे होने पर भारत और स्वच्छता के संदर्भ में मंथन जरूरी है ।
स्वच्छता का सूत्र उठानेवाला पहला नेतृत्व !
इसमें कोई संदेह नहीं कि स्वच्छता के विषय में विश्व के अन्य देशों और भारत के बीच हमेशा तुलना की जाती रही है, आज भी की जाती है और भविष्य में भी की जाएगी; लेकिन पहले यह तुलना भारत में द्वेष, अपमान और हीनभावना से देखती थी । भारत को इस रूप में चित्रित किया जाता था कि ‘भारत एक गंदा और अस्वच्छ देश है’; लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान के माध्यम से प्रथा बनाई । उन्होंने हाथ में झाड़ू लेकर देश के सामने स्वच्छता का आदर्श बनाया । अत: यह कहा जा सकता है कि ‘भारत अब स्वच्छता के मामले में कुछ हद तक जागरूक हो रहा है ।’ नागरिक भी कुछ हद तक सतर्कता से काम कर रहे हैं । प्रधानमंत्री मोदी ही पिछले १० वर्षों से लगातार लोगों को स्वच्छता के लिए जागरूक कर पाए । ऐसा करनेवाले वे भारत के एकमात्र और पहले नेतृत्व हैं । इसके लिए उनकी जितनी प्रशंसा की जाए, उतनी कम है ! देश को प्रगति के उच्चतम शिखर पर पहुंचने के लिए नींव का मजबूत होना जरूरी है । मोदी ने पूरी तरह से महसूस किया कि ‘यह नींव स्वच्छता से शुरू होती है’ और सभी भारतीयों से इसके लिए कार्य करने की अपील की । यह निश्चित है कि भविष्य में एक सुरक्षित और सुंदर भारत का निर्माण होगा; क्योंकि उन्होंने स्वच्छता की मजबूत नींव रखी है !
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत भारत में कई बदलाव हुए । विभिन्न स्थानों पर स्वच्छता विषय पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं । प्रत्येक वार्ड के लिए कचरागाडी नियुक्त की गई । इतना ही नहीं, गाडी पर गाने बजाए गए ताकि पता चल सके कि वह आ रही है । इसमें क्षेत्र या भाषा के अनुसार भी विविधता थी । इनमें से एक गाना है, ‘स्वच्छ भारत का इरादा ।’ इसकी एक लाइन है, ‘स्वच्छता की ज्योति लेकर घर-घर जाएंगे, साफ सुथरी रोशनी में सब नहाएंगे ।’ ‘स्वच्छता सर्वत्र प्रकाश फैलाती है, नवचेतना उत्पन्न करती है ।’ इस आशय की सामग्री के साथ नागरिकों में जनजागरूकता पैदा की जाती है । यह निश्चित ही एक अभिनव तरीका है । इस प्रकार अनेक स्तरों पर नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है । सभी को स्वच्छता का पाठ पढाया जा रहा है । बच्चों को भी साफ-सफाई रखने के लिए प्रेरित किया जाता है । अब प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि हम मोदी द्वारा शुरू किए गए इस स्वच्छता अभियान को जारी रखें । साफ-सफाई बनाए रखें । अगर हर कोई सफाई कर्मचारी बन जाए, तो देश को आगे ले जाने में ज्यादा समय नहीं लगेगा । इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि ‘काम करने पर ही होता है, इसलिए आरंभ कर देना चाहिए ।’
स्वच्छ और सुंदर भारत बनाने के लिए देशभक्ति का उद्घोष करना अपेक्षित है; लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि भारतीयों में राष्ट्र प्रेम या देशभक्ति जैसा कुछ नहीं है । तो फिर ये कैसे होगा ? जो भारतीय काम या पर्यटन के लिए विदेश जाते हैं, वे स्वच्छता का गुणगान करते हैं और भारत को कम आंकते हैं; लेकिन उन्हें इस सफाई के पीछे का रहस्य नहीं पता । वे ये नहीं सोचते कि ‘भारत की स्थिति के लिए हम ही जिम्मेदार हैं ।’ इसके विपरीत, विदेशियों में अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम और गौरव होता है । उसके बल पर वे सभी स्थानों पर स्वच्छता का पालन करते हैं । ऐसा न करनेवाले को दण्डित करने की भी व्यवस्था है । संबंधित व्यक्ति चुपचाप दण्ड का पालन करता है । इसे कहते हैं, ‘कानून व्यवस्था !’ भारत में कानून व्यवस्था की धज्जियां उडा दी गई हैं । तो सफाई कैसे रहेगी ? और कोई दंड देने की बात करे, तो उसकी अनदेखी की जाती है । ऐसा न हो कि; इसलिए सभी में देशभक्ति होनी चाहिए । जरूरी है कि सरकार स्वच्छता के लिए प्रयास करते समय इस ओर भी ध्यान दे । हमारे पास सफाईकर्मी कम और कूडा बीननेवाले ज्यादा हैं । यह शर्मनाक है । मोदी द्वारा चलाए गए अभियान को सफल बनाने में सभी को योगदान देना चाहिए । हालांकि कुछ स्थानों पर अभियान को सफलता मिल रही है; लेकिन कुछ स्थानों पर अब भी साफ-सफाई की कमी है । इस स्थिति को सुधारना होगा । इसके लिए नागरिकों की मानसिकता को बदलना जरूरी है । गंदगी फैलानेवालों को जैसे विदेशों में दंड दिया जाता है, वैसा ही कठोर दंड भारत में दिया जाना चाहिए । दंड का डर होने पर ही व्यक्ति सही काम करने के लिए प्रेरित होता है । दंड डर पैदा करता है । दंड से मानसिकता बदल सकती है । देश को स्वच्छ रखना है, तो विचार भी स्वच्छ होने चाहिए । देश विरोधी मानसिकता, भ्रष्ट मनोवृत्ति, बढते लोभ, लालच, अन्याय और लोगों पर अत्याचार करने की प्रवृत्ति को समय-समय पर साफ करना चाहिए । केवल स्थूल कूडे पर ध्यान देने से काम नहीं चलेगा । अप्रत्यक्ष; लेकिन जो कचरा देश की प्रगति के लिए हानिकारक है, उसे भी बाहर निकालना होगा ।
भारत को लूटनेवाली कांग्रेस !
प्रधानमंत्री मोदी ने वह कर दिखाया, जो तत्कालीन कांग्रेस सरकार अब तक नहीं कर सकी । कांग्रेस कभी कोई बुनियाद नहीं रख पाई । तो कांग्रेस ने किया क्या, केवल देश को लूटा ! कांग्रेस ने केवल यही देखा कि कैसे अपनी जेबें भरनी हैं और कैसे हमें पैसों में खेलना है, कैसे मनमाने ढंग से सत्ता हथियानी है, इस प्रकार भारत को लूटने का चक्र जारी रखा । परिणामस्वरूप, देश अस्वच्छ, बर्बाद और प्रगतिहीन बना रहा । इससे पता चलता है कि भारतीय राजनीति में भी स्वच्छता अभियान जरूरी है । अब ‘स्वच्छ भारत’ के दस वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रत्येक नागरिक को संकल्प लेना चाहिए । यह भारतीयों का कर्तव्य है कि इस अभियान को केवल एक दिन नहीं, बल्कि लगातार जारी रखें और उचित परिणाम प्राप्त करें ।
भारत में राष्ट्र के प्रति अनुचित मानसिकता रखनेवाले लोगों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए सख्त सजा के प्रावधान आवश्यक ! |