घुसपैठियों को ढूंढने मैदान में उतरेंगे साढ़े पांच लाख कर्मचारी ! -सुरेश चव्हाणके, मुख्य संपादक, सुदर्शन न्यूज चैनल

महाराष्ट्र को घुसपैठियों से मुक्त कराने के लिए ‘जनता एन.आर.सी.’ अभियान !

(एन.आर.सी. का मतलब जनता राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर है)

(बाएं से) कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेश गोयल, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राजेंद्र निंभोरकर, सुरेश चव्हाणके, रणजीत सावरकर

मुंबई, ३ अक्टूबर (न्यूज़) – भारत में १० करोड़ से ज्यादा रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठिये होने का अनुमान है। इनमें से १ करोड़ महाराष्ट्र में हैं । मुंबई में ऐसे घुसपैठियों की संख्या ४० लाख है । ये सभी घुसपैठिए देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं । इन घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए महाराष्ट्र में ‘जनता एन.आर.सी.’ अभियान चलाया जाएगा । ‘सुदर्शन’ न्यूज चैनल के मुख्य संपादक के अनुसार , इस अभियान के तहत महाराष्ट्र से साढ़े पांच लाख कार्यकर्ता घुसपैठियों की तलाश के लिए मैदान में उतरेंगे ऐसी जानकारी सुदर्शन वृत्त वाहिनी के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके द्वारा दी गयी । इस अभियान की जानकारी देने के लिए ३ अक्टूबर को यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में श्री. चव्हाणके बात कर रहे थे । इस अवसर पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्यकारी अध्यक्ष श्री. रणजीत सावरकर, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राजेंद्र निंभोरकर, कर्नल (सेवानिवृत्त) नरेश गोयल उपस्थित थे।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेना, नौसेना, सिविल सेवा बल सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे और अभियान को अपना समर्थन दिया। इस बार श्रीमान. सुरेश चव्हाणके ने कहा, ”महाराष्ट्र गृह विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ पुलिस स्टेशनों में १ सहस्र से ज्यादा मामले प्रविष्ट हैं । असम में रहने वाले ३ लाख बांग्लादेशी घुसपैठिए वहां की सरकार की कार्यवाही के डर से महाराष्ट्र आ गए हैं ।

महाराष्ट्र में सभी घुसपैठियों को राज्य छोड़ देना चाहिए। प्रत्येक जिले में एक राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण समिति स्थापित की गई है। इसे लेकर प्रत्येक जिले में कार्यशालाएं आयोजित की गयी हैं । बांग्लादेशी घुसपैठिए खुद को बंगाली बताकर महाराष्ट्र में रह रहे हैं । कोलकाता से १०० नागरिक उनकी पहचान के लिए महाराष्ट्र आएंगे । हम घुसपैठियों की भाषा से पहचान करेंगे और उनको स्थानीय पुलिस को सौपेंगे।

१८ सहस्र ४०० ग्राम पंचायतों से संपर्क करें!

नागरिकों से अपील कर ‘क्या आपके आसपास कोई घुसपैठिया है’, यह देखा जाएगा । शहर के वार्डों और ग्रामीण क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों से संपर्क कर पता लगाया जाएगा कि उनके क्षेत्र में घुसपैठिए तो नहीं हैं। हम इस अभियान के लिए अब तक १८ सहस्र ५०० ग्राम पंचायतों और ४४ सहस्र गांवों का दौरा कर चुके हैं। इसमें धार्मिक, सामाजिक आदि विभिन्न क्षेत्रों के लोग काम कर रहे हैं। श्री. सुरेश चव्हाणके ने कहा इसे राजकीय हेतु के बजाय राष्ट्रहित के नजर से देखा जाये ।

ऐसा अभियान चलाया जाएगा!

सबसे पहले क्षेत्र का निर्धारण किया जाएगा। इसके बाद श्रमिकों की टीम बनाकर उनका वर्गीकरण किया जाएगा। इसके बाद घुसपैठियों से खुद आगे आने का आह्वान किया जाएगा । फिर सर्च ऑपरेशन चलाया जाएगा । सरकार पर यह सुनिश्चित करने का दबाव बनाया जाएगा कि जो व्यक्ति पाया गया, वह घुसपैठिया है या नही । इस प्रकार अभियान ६ चरणों में चलाया जायेगा, ऐसा श्री सुरेश चव्हाणके ने बताया ।

संपर्क करें और आंदोलन में शामिल हों ! 

अभियान की जानकारी वेबसाइट http://’www.JananNRC.org’पर दी गई है । अभियान में भाग लेने और समर्थन करने के लिए, कृपया ९२०९४२०४२०४ पर संपर्क करें, ऐसा आवाहन श्रीमान चव्हाणके ने किया ।

बांग्लादेश के घुसपैठिए देश विरोधी गतिविधियों में शामिल! – राजेंद्र निंभोलकर, सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र निंभोलकर

बांग्लादेश के साथ भारत की ४ सहस्र १९८ किमी लंबी सीमा है। भारत से बांग्लादेश में १९७ नदियाँ बहती हैं। सीमावर्ती क्षेत्र में जंगलों के कारण बांग्लादेश से भारत में बड़े पैमाने पर घुसपैठ होती है। बांग्लादेश से आए घुसपैठिये भारत में आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। उन्हें इसके बारे में प्रशिक्षित किया जाता है ।

तो घुसपैठियों के कारण भारत में आएगा गृह युद्ध का समय! – रणजीत सावरकर, कार्यकारी अध्यक्ष, स्वतंत्रता सेनानी सावरकर राष्ट्रीय स्मारक (फ़्रेमयुक्त)

रणजीत सावरकर

भारत आए घुसपैठियों को आसानी से आधार कार्ड मिल रहा है । आधार कार्ड के आधार पर घुसपैठियों को देश की नागरिकता मिल रही है । इसका स्थानीय रोजगार पर बड़ा असर पड़ा है । पहले राजस्थान और महाराष्ट्र के नागरिक बढई हुआ करते थे। अब बढ़ई बांग्लादेशी हैं । बांग्लादेशियों ने मछली पकड़ने के व्यवसाय पर पूरी तरह से कब्ज़ा कर लिया है जो पहले कोली समुदाय द्वारा किया जाता था। यदि ऐसा ही चलता रहा तो अगले १५-२० वर्षों में भारत को घुसपैठियों के कारण गृहयुद्ध का सामना करना पड़ेगा। इस अभियान में सभी को भाग लेना चाहिए।