Bareilly Judge On Love Jihad : ‘लव-जिहाद’ की घटनाएं विदेशी अर्थपूर्ति के कारण घटती हैं !

  • बरेली (उत्तरप्रदेश) के द्रुतगति न्यायालय के न्यायाधीश रविकुमार ने किया स्पष्ट 

  • ‘लव-जिहाद’ की व्याख्या की !

  •  ‘लव-जिहाद’ के अपराधी को आजीव‍न कारावास का दंड

बरेली (उत्तरप्रदेश) – ‘लव-जिहाद‘ का मुख्य उद्देश्य है, जनसंख्या में परिवर्तन करना एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खलबली मचाना । वह धार्मिक गुट के मूलतत्त्व वादी गुटों से प्रेरित है । गैरमुस्लिम महिलाओं को फंसा कर विवाह द्वारा इस्लाम में धर्मांतरित किया जा रहा है । ‘लव-जिहाद’ की घटनाएं विदेशी अर्थपूर्ति के कारण हाे रही हैं’, ऐसा कहते हुए येहां के द्रुतगति‍ न्यायालय के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश रविकुमार दिवाकर ने ‘लव-जिहाद’ प्रकरण में आरोपी मोहंम्मद आलिम को आजीवन कारावास का दंड सुनाया है । न्यायाधीश ने अपने ४२ पृष्ठों के आदेश में ‘लव-जिहाद’ का स्वरूप, उद्देश्य तथा वित्तपूर्ति के संबंध में स्पष्ट किया ।

न्यायाधीश रविकुमार दिवाकर ने परिणाम घोषित करते हुए कहा कि,

१. यह प्रकरण ‘लव-जिहाद’ के माध्यम से अवैध धर्मांतर का है । ऐसी परिस्थिति में सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि ‘लव-जिहाद’ क्या है’? ‘लव-जिहाद’ में एक विशेष समाज के पुरुष अन्य समाज की महिलाओं को विवाह के माध्य‍म से उनका धर्म स्वीकारने हेतु नियोजनपूर्वक लक्ष्य करते हैं । एक विशेष समाज के ये लोग प्रेम के बहाने धर्म परिवर्तन करने हेतु इन महिलाओं से विवाह करते हैं, जो झूट होता है ।

२. कुछ कट्टरपंथियों द्वारा ‘लव-जिहाद’ के माध्यम से महिलाओंं का अवैध धर्मपरिवर्तन किया जा रहा है । ये लोग एक तो ऐसे कृत्यों में फंसे रहते हैं अथवा उनका समर्थन करते हैं, तथापि यह ध्यान में लेना महत्त्वपूर्ण है कि ये कृत्य संपूर्ण धार्मिक समुदाय को प्रतिबिंबित नहीं करते ।

३. ‘लव-जिहाद’ प्रक्रिया में जो निधि प्रयुक्त किया जाता है, वह विदेश से भेजा जाता है ।

४. पाकिस्तान तथा बांग्लादेश समान ही भारत को अस्थिर करने का षड्यत्र रचा गया है । इससे देश की एकता, अखंडता तथा सार्वभौमत्व पर संकट है ।

क्या है प्रकरण ?

आरोपी माेहंम्मद आलिम ने वर्ष २०२२ में पीडिता को स्वयं का नाम आनंद बता कर फंसाया तथा हिंदू रीति तथा परंपरा के अनुसार विवाह कर उस पर बलात्कार किया । तदुपरांत छायाचित्र एवं वीडियो बना कर उसे बदनाम करने की धमकी देकर अनेक बार उस पर बलात्कार किया । मई २०२३ में यह बात उजागर हुई ।

कौन हैं न्यायाधीश रविकुमार दिवाकर ?

न्यायाधीश रविकुमार दिवाकर

न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने वाराणसी के जिला न्यायालय में काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित ज्ञानवापी का ‍वीडियोग्राफिक सर्वेक्षण करने तथा वहां के वजूखान को (मस्जिद में नमाजपठन से पूर्व हात-पांव धोने का स्थान) वर्ष २०२२ में ताला लगाने का निर्णय दिया था ।

संपादकीय भूमिका

देश का यह पहला ही न्यायालय है, जिसने ‘लव-जिहाद’ होने की बात स्वीकार करते हुए उसकी व्याख्या की तथा अपराधी की व्याख्या कर आरोपी को आजीवन कारावास का दंड सुनाया । यदि कानून की चौखट में रह कर ऐसा करना संभव था, तो इससे पूर्व के अभियोगों में क्यों नहीं किया गया ? ऐसा प्रश्न उपस्थित होता है !